अच्छे स्वास्थ्य के लिए हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है क्योंकि डाइट के जरिए ही शरीर को जरूरी पोषण तत्व मिल पाते हैं लेकिन आप अच्छी डाइट बेवक्त लें रहे हैं तो इसका भी आपको कोई फायदा नहीं मिलेगा इसलिए खाने से जुड़ी अच्छी आदतों को अपनाना भी बहुत जरूरी है। बहुत सारे लोग शारीरिक जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा खाने लगते हैं जिसे 'ईटिंग डिसऑर्डर' कहा जाता है। वैसे इस बीमारी को ज्यादातर लोग अनदेखा कर देते हैं लेकिन इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है।
क्या है 'ईटिंग डिसऑर्डर'?
यह एक तरह का का मनोवैज्ञानिक विकार है। जो लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं वे बार-बार वजन चैक करना शुरू कर देेते हैं। उनके मन में अपने वजन के घटने या बढ़ने को लेकर भ्रम बना रहता है। कभी इंसान जरूरत से ज्यादा खाने लगत है तो कभी भूख का अहसास होना बंद हो जाता है। फिर भी इसकी अनदेखी की जाती है जबकि यह गंभीर रोग है। इस तरह की स्थिति का शिकार पुरुषों से ज्यादा महिलाएं होती हैं लेकिन इसका इलाज संभव है।
पहचानें ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण
वजन तेजी से कम होना
ईटिंग डिसऑर्डर में बिना किसी बीमारी के वजन तेजी से कम होने लगता है। इंसान हमेशा अपने वजन को लेकर चिंता में डूबा रहने लगता है।
मोटापे का डर
उम्र और हाइट के हिसाब से वजन सही होने पर भी मन में मोटे होने का भ्रम पैदा होना इस बीमारी का संकेत है।
ज्यादा व्यायाम करना
वजन को लेकर इतना ज्यादा भ्रम पैदा होने लगता है कि ग्रसित इंसान बहुत ज्यादा व्यायाम करने लगता है फिर चाहे इसकी जरूरत हो या न हो।
खाना न खाने का बहाना बनाना
यह मनोवैज्ञानिक विकार है जिससे इंसान खाना न खाने के बहाने ढूंढता रहता है।
बिना भूख कुछ न कुछ खाते रहना
खाने को देखते ही कुछ लोग खुद पर काबू नहीं कर पाते, पेट लबालब भरा होने पर भी दोबारा फिर खाना खा ही लेते हैं। उनका अपने खाने पर काबू नहीं होता।
दिन भर वजन नापना
इंसान बार-बार खुद को आईने में देखता रहता है। उसे डर रहता है कि कहीं उसका वजन न बढ़ जाए, इस वजह से वे बार-बार अपना वजन नापता है।
थकावट महसूस होना
ईटिंग डिसऑर्डर के शिकार व्यक्ति को हमेशा थकावट महसूस होती है। उसका कोई भी काम करने का मन नहीं करता और कमजोरी महसूस होती है। उस व्यक्ति को ठंड़ा का भी ज्यादा अहसास होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर के प्रकार
एनोरेक्सिया नर्वोसा
यह खाने संबंधी विकार है, जिसमें रोगी व्यक्ति शारीरिक जरूरत से कम भोजन खाता है। उसे वजन बढ़ने का डर बना रहता है और धीरे-धीरे उसका शरीर कमजोर हो जाता है।
बुलिमिया नर्वोसा
यह भी ईटिंग डिसऑर्डर की अवस्था है, इसमें पीड़त व्यक्ति जरूरत से ज्यादा खाना खाने लगता है। जिसे बाद में पचाने में इसे परेशानी होती है।
बिंज ईटिंग डिसआर्डर
इस अवस्था में रोगी बहुत ज्यादा खाना शुरू कर देती है। बिना भूख बार-बार उसका कुछ न कुछ खाने का मन करता है।
ईटिंग डिसऑर्डर से बचने का तरीका
इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू कर देना जरूरी है। इसमें बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कब, क्या और कितनी मात्रा में खाना खाना है। डॉक्टरी इलाज में रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति का इलाज किया जाता है। इसका इलाज थोड़ा-लंबा चलता है लेकिन मुश्किल नहीं है।
खुद को रखें व्यस्त
खाने की आदत को सुधारने के लिए खुद को फ्री न रहने दें। खाली समय में अपने शौक पूरा करने। दोस्तों के साथ समय बिताएं इसे आपका ज्यादा खाने से ध्यान हटेगा। दोस्तों से मिलने का दूसरा फायदा है कि अगर आप नहीं खाते तो इसके लिए भी आपको दोस्तों का साथ मिल जाएगा। आप सही मात्रा में खाना खा पाएंगे।
टाइम टेबल सेट करें
अपनी दिनचर्या को लेकर टाइम टेबल सेट कर लें। जिसमें खाने से लेकर एक्सरसाइज का समय लिखा हो। इसे फॉलो करके खुद में अच्छी आदतें डाल सकते हैं।
योग और मेडिटेशन
एक्सरसाइज नहीं करना चाहते तो दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए योगा और मेडिटेशन करें। इससे मानसिक स्थिति सुधरने लगेगी।