बिल्डिंगों की बढ़ती ऊंचाई और बच्चों के हाथ में टेक्नॉलजी आ जाने आजकल बच्चों में विटामिन-डी की समस्या काफी देखने को मिल रही हैं, खासकर मेट्रो सिटीज में। वहीं मॉर्डन लाइफस्टाइल के कारण उनका खान-पान भी बिगड़ता जा रहा है। धूप विटमिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। यही कारण है कि बच्चों में यह समस्या काफी देखने को मिल रही है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि विटामिन डी की कमी पाए जाने वाले बच्चों की उम्र घट रही है। इतना ही नहीं, इसके कारण उनमें कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
मेट्रो सिटीज के बच्चों को ज्यादा समस्या
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय बच्चों में भी विटामिन-डी भारी मात्रा में देखने को मिल रही है, जिसका कारण धूप या खुली हवा में न निकलने का चलन है। बच्चे एसी कमरों में इनडोर खेल के साथ ही जी रहे हैं, ऐसे में उनमें विटामिन डी की कमी पाया जाना आम बात है।
कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा
वहीं शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी की कमी से उम्र घट रही है और इससे तमाम हेल्थ इश्यू भी खड़े हो रहे हैं, जैसे कम उम्र में डायबिटीज, बीपी और कैंसर। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि विटामिन डी का सीधा संबंध कैल्सियम और हड्डियों की सेहत से जुड़ा है।
भविष्य के लिए खतरे की घंटी
बता दें कि करीब 75% भारतीय बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई गई है। हर महीने लगभग 6 हजार बच्चे आते हैं, जिनमें से तकरीबन ढाई हजार बच्चों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है। शहरी आबादी में सन एक्सपोजर कम होने के कारण यह संख्या दो से तीन गुना तक ज्यादा है। यह स्थिति देखते हुए डॉक्टर्स पेरेंट्स को भविष्य के लिए आगाह कर रहे हैं।
100 से ज्यादा गंभीर बीमारियों का खतरा
विटामिन डी की कमी से हड्डियों का कमजोर होना, रक्तचाप की शिकायत, दिल को रोग, अस्थमा, आंखों और दिमाग संबंधी समस्याएं, डायबिटीज, कैंसर, डिप्रेशन, ब्रेन डेमेज जैसी 100 से अधिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन डी दो हजार से ज्यादा जींस को एक्टिवेट करता है और हमारी इम्यूनिटी बढ़ाता है। ऐसे में यह शरीर को सही तरीके से चलाने के बहुत जरूरी है।
ऐसे पहचानें लक्षण
. बच्चों का जल्दी थक जाना
. लगातार हाथों-पैरों में दर्द होना
. बार-बार बीमार पड़ना
. कमजोर इम्यून सिस्टम
. एकाग्रता कमी
. शारीरिक विकास में रूकावट
. स्वभाव में चिड़चिड़ापन
कितनी मात्रा में लेना है जरूरी?
6 महीने से 13 साल के बच्चों को रोजाना 400 IU के करीब विटामिन-डी की जरूर होती हैं। वहीं युवाओं व बुर्जगों को रोजाना 600 IU और गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं रोजाना 600 IU विटामिन डी की जरूरत होती है।
चलिए अब आपको बताते हैं कि इसकी कमी को कैसे पूरा किया जाए...
-सुबह की गुनगुनी धूप
सूरज की किरणें विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है लेकिन कभी भी धूप में खड़े हो जाते हैं, जोकि गलत है। सुबह की गुनगुनी धूप में कम से कम 10-15 मिनट योग करें या बैठें। रोजाना ऐसा करने से ही फायदा होगा।
-सप्लीमेंट और कैप्सूल
अगर शरीर में विटामिन-डी की कमी है तो आप डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चों को कैप्सूल या सप्लीमेंट भी दे सकते हैं।
-डाइट भी है जरूरी
इसके अलावा शरीर में विटामिन-डी की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में मछली, ड्राई फ्रूट्स, साबुत अनाज, संतरा, डेयरी प्रॉडक्ट्स, कॉड लिवर ऑयल, मशरूम, गाजर, दूध, अंडे का पीला भाग, टमाटर, हरी सब्जियां, शलजम, नींबू, माल्टा, मूली, पत्ता गोभी और पनीर से भी विटामिन-डी की कमी नहीं होती।