अगर आप भी नया घर बनवाने या खरीदने वाले हैं तो कुछ वास्तु के अनुसार कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना है। आज के आधुनिक युग में एकांकी और छोटे परिवार होने के कारण ज्यादा स्थान की आवश्यकता तो पड़ती नहीं है, परंतु फिर भी वास्तु के अनुसार यदि आप इन खास बातों का ध्यान रखते हैं तो आपके लिए बहुत अच्छे परिणाम निकल कर आ सकते हैं।
पूर्व दिशा में बनाएं रसोई घर
घर बनाते या खरीदते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर का रसोई घर और बच्चों के पढ़ने का कमरा घर की पूर्व दिशा में होना चाहिए।
आगनेय कोण दिशा
पूर्व और दक्षिण दिशा के कोने को हम आगनेय कोण दिशा कहते हैं। घर के इस कोने को इस्तेमाल हमें गैरेज, स्टोर या फिर बिजली की मोटर रखने वाली जगह के रुफ में इस्तेमाल करना चाहिए। इससे मोटर खराब होने या फिर उसमें से करंट वगैरा निकलने की आशंका कम हो जाती है।
दक्षिण दिशा में बनाए भंडार कक्ष
भंडार कक्ष के लिए घर की दक्षिण दिशा सबसे उत्तम दिशा मानी जाती है। इससे मां लक्ष्मी की कृपा से आपका भंडार घर सदैव भरा रहेगा।
दक्षिण-पश्चिम कोण
घर के इस कोने को हम नैरित्र कोण कहते हैं। घर के मुखिया के सोने का कमरा हमेशा इसी दिशा में बनाना चाहिए। वहीं पर आप सीढ़ीयां भी बना सकते हैं।
पश्चिम दिशा
घर के इस कोने का इस्तेमाल आप बच्चों के सोने वाले कमरे के रुप में बनाकर कर सकते हैं। आप चाहें तो इस कोने में भी बच्चों के पढ़ने का कमरा बना सकते हैं
पश्चिम-उत्तर कोण
इस कोने को बाएब कोण भी कहा जाता है। इस कोने में अनाज का भंडार बनाना चाहिए। कपड़े धोने का स्थान भी आप इस कोने में बना सकते हैं। अतिथियों के रहने वाला कमरा भी इसी कोने में बनाने से शुभ माना जाता है।
उत्तर दिशा
इस दिशा में हम अपनी तिजोरी, अलमारी या फिर कोई भी मूल्यवान वस्तु को रखने का स्थान बना सकते हैं। पठन और पाठने को काम आप इस दिशा में कर सकते हैं। आप चाहें तो ड्राइंगरुम इस दिशा में बना सकते हैं।
ईशान दिशा
उत्तर और पूर्व के कोने को ईशान दिशा कहा जाता है। इस दिशा में पूजा-ग्रह बनाने से घर में सदा सुख-शांति और भगवान की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहती है। आप चाहें तो बरामदा भी बना सकते हैं। इस दिशा में पेड़ पौधे लगाने से घर में तंदरुस्ती और खुशहाली बनी रहती है।