रामेश्वरम मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। रामेश्वरम मंदिर में आकर ही हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी आकर मिलते है। दक्षिण-पूर्व में स्थित ये जगह चेन्नई से लगभग 415 मील की दूरी पर है। इस मंदिर के कुछ हिस्से लगभग 50-60 साल पुराने है। रामेश्वरम मंदिर का केवल महत्व केवल तीर्थ ही नहीं है बल्कि ये जगहें प्राकृतिक नजारों से भी भरपूर है।
रामेश्वरम हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थान है। यहां पर स्थित शिवलिंग को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। पहले यह द्धीप भूमि के साथ जुड़ा हुआ था परन्तु बाद में सागर की लहरों ने इसे भूमि से मिलने वाली इस कड़ी को काट डाला जिससे ये चारों तरफ से पानी में घिर गया। इस मंदिर का गलियारा विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और लंबा गलियार है।
इस स्थान के दक्षिण में कन्याकुमारी नामक प्रसिद्ध तीर्थ है। यहां पर स्थित रामनाथ मंदिर उतना पुराना नहीं है जितना की रामेश्वरम् और सेतु मंदिर। ये बहुत प्रचीन समय से यहां पर मौजूद है। ये मंदिर उत्तर-दक्षिण में 197 मीटर, पश्चिम 133 मीटर और पूर्व की ओर लगभग 6 हेक्टेयर तक फैला हुआ है। इसकी दिवारे 6 मी. चौड़ी और 9 मी. ऊंची है।
ये मंदिर भारतिय निर्माण कला और शिल्पकला का सुंदर नमूना है। इस मंदिर के प्रवेस द्धार चालीस फीट उंचे है। मंदिर के अंदर बने खंभे दूर से देखने में एक जैसे लगते है लेकिन पास जाकर देखने पर इस पर की कारीगिरी का पता चलता है। इस मंदिर का चबूतरा 5 फुट उंचा और 8 फुट चौड़ा है। चबूतरे की एक तरफ खंभो की लम्बी कतारे बनाई गई है। अंदर जाते समय ऐसा लगते है जैसे सैकड़ों तोरण आपका स्वागत कर रहें हो।
इस जगह पहुंचने के लिए आपको रेलगाड़ी से ही जाना पड़ेगा। इसके सिए आपको मद्रास से टैन लेनी पड़ती है जो करीब 22 घंटे में आपको पामबन स्टेशन पहुंचा देगी। इस स्टेशन से गाड़ी लेकर आप सीधा रामेश्वरम् पहुंच जाएगे। इस मंदिर की सुंदरता देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बहुत से लोग आते है और इस जगह की सुंदरता को देखकर देंग रह जाते है। इस जगह पर आप बोटिंग का भी खूब मजा ले सकते है।