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इनसे मिलिए इन्हें कहते हैं पंजाब की 'गूगल बेबे', कंप्यूटर से कही तेज दौड़ता है दिमाग

  • Updated: 26 May, 2018 02:20 PM
इनसे मिलिए इन्हें कहते हैं पंजाब की 'गूगल बेबे', कंप्यूटर से कही तेज दौड़ता है दिमाग

किसी भी चीज को याद करने के लिए तेज दिमाग होना बहुत जरूरी है। कुछ बच्चे बचपन से ही तेज दिमाग के होते हैं, उन्हें बातें आसानी से याद हो जाती हैं और कुछ किस्से तो वह कभी भी नहीं भूलते। ऐसी ही एक शख्सियत है पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में स्थित गांव मनैला की रहने वाली कुलवंत कौर। लोग उनको 'गूगल बेबे' के नाम से भी जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इनके दिमाग के आगे कंप्यूटर की स्पीड कुछ भी नहीं। 

 


55 साल की कुलवंत कौर साधारण जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती है लेकिन उनका जन्म आगरा में हुआ। वहीं से कुलवंत कौर ने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। कुछ घरेलू हालात के कारण वह आगे पढ़ नहीं पाई लेकिन बचपन में उनके घर आने वाले कपड़ा व्यापारी रामलाल 'डग्गी वाले' उनके पिता से मिलने आते तो घंटों धार्मिक विषयों पर बातें करते। घंटों उनकी बातें सुनते-सुनते कुलवंत कौर को किताबें पढ़ने का शौंक पैदा होने लगा। किताबें पढ़ने के जुनून के साथ बाद में उन्हें पता चला की जो अध्य्यन वह पढ़ चुकी हैं उनकी एक-एक बात उसे याद है। 

 


भारत के इतिहास को लेकर भी कुलवंत कौर को हर बात की पूरी जानकारी है, यहा जानकारी उन्होंने किताबे पढ़कर ही हासिल की है। वह डिस्कवरी ऑफ इंडिया, हिस्ट्री ऑफ इंडिया, डिस्कवरी ऑफ पंजाब, हिस्ट्री ऑफ पंजाब के अलावा बहुत सारे धर्मग्रंथों का अध्ययन कर चुकी हैं। उन्होंने धर्म अध्ययन के लिटरेचर को भी 22 साल पढ़ा और इससे जुड़ी हर बात की जानकारी हासिल की। गुगल बेबे ने अपने घर में छोटी सी लाइब्रेरी भी बना रखी है। जिसमें बंदा सिंह बहादुर,सिख रसाले,पत्रकार खुशवंत सिंह, कुलदीप नैय्यर, दीवान वरिंदर नाथ की किताबें, इतिहासिक विषयों की किताबें,लेखकों व खोजकारों की किताबों समेत और भी बहुत सी किताबें उन्होने शामिल की हुई हैं।


 

कुलवंत कौर को भारतीय इतिहास की हर छोटी से छोटी जानकारी है, यहां तक की राजा महाराज के जीवनकाल से जुड़ी हर इतिहासिक बात गूगल बेबे के दिमाग में मौजूद हैं। वह हर बात का जवाब बिना देरी किए दे देती है। 

 


गूगल बेबे बाबा बंदा सिंह बहादुर इंटरनेशनल फाउंडेशन लुधियाना में करवाए जा रहे एक समारोह में अंतरराष्ट्रीय समाज सेवक एसपी सिंह ओबरॉय की नजरों में आई। उन्हें बेबे की प्रतिभा का पता चला तो कुलवंत कौर के घर जाकर उन्होंने 3 हजार रुपये महीना पेंशन लगाई। ओबरॉय ने बाद में कुलवंत कौर की बात पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अधिकारियों से करवाई। बेबे ने झट से उनके सवालों के जबाव दे दिए। गूगल बेबे की काबलियत को देखते हुए ओबराय अब पंजाबी यूनिवर्सिटी के धर्म अध्ययन विभाग में उनका दाखिला करवाना चाहते हैं। वहीं गूगल बेबे का भी कहन है कि अगर उनकी सेहत अच्छी रही तो वह धर्म अध्ययन विषय पर पीएचडी भी करेंगी।

 

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