ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में गर्भाश्य से जुड़ी समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती है, जिसका एक कारण है बीमारी का समय पर पता न चल पाना। परेशानी तब और भी ज्यादा बढ़ जाती है, जब वो बीमारी जेनेटिक हो। ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाश्य, ओवरी कैंसर जैसी आनुवांशिक बीमारियों के कारण हर साल कई महिलाएं अपनी जान गवां देती है लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing) से आप अपनी जेनेटिक डिसऑर्डर का भी पता लगा सकती हैं।
एंजेलिना जोली भी करवा चुकी हैं टेस्ट
दरअसल, एंजेलिना ने 2007 में अपनी मां को गर्भाश्य कैंसर के कारण खो दिया था। इससे पहले भी वह अपनी परिवार की औरतों को कैंसर से लड़ते देख चुकी थी। बता दें कि जोली की मां, दादी और चाची, सभी की मौत कैंसर से हो चुकी हैं। इसके बाद उन्हें इस बात की चिंता होने लगी, इसके बाद वो अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह लेने गई, जहां उन्हें जेनेटिक टेस्टिंग के बारें में पता चला।
टेस्ट करवाने के बाद एंजेलिना को ब्रेस्ट कैंसर का पता चला। अच्छी बात यह थी कि सर्जरी के बाद उनकी जान बच सकती थी इसलिए सर्जरी द्वारा उनके दोनों ब्रेस्ट निकाल दिए गए। हलांकि इसके कुछ समय बाद अपने डर को खत्म करने के लिए उन्होंने ओवरीज और फेलोपियन ट्यूब निकलवा दी।
एंजेलिना जोली को क्या है प्रॉब्लम?
दरअसल, एंजेलिना की जीन में समस्या है, जिसे BRCA1 भी कहते हैं। ऐसे जीन होने पर डॉक्टर महिलाओं को सलाह देते हैं कि वो 40 साल तक या बच्चे पैदा नहीं करने हों तो सर्जरी करा सकती हैं। इस सर्जरी के बाद फिर वे कभी बच्चा नहीं पैदा कर पाएंगी। हालांकि एंजेलिना 3 बच्चों की बायोलॉजिकल मां है और 3 बच्चों को उन्होंने गोद लिया है।
उम्र के साथ बढ़ता हैं कैंसर का खतरा
ऐसे लोगों में ब्रेस्ट या ओवरी कैंसर होने की आशंका उम्र के साथ बढ़ती जाती है। डॉक्टरों ने बताया कि जोली को ब्रेस्ट कैंसर होने की आंशका 87% और ओवरी कैंसर की 50% थी। हालांकि, डॉक्टरों का कहना यह भी है कि अंगों को बाहर निकालना बीमारी के खत्म होने की गारंटी नहीं देता क्योंकि शरीर के सभी रिस्क वाले अंगों को बाहर निकालना संभव नहीं है।
क्या है जेनेटिक बीमारियां?
जब एक बच्चा जन्म लेता है तो उसमें दो तरह के जीन्स पाए जाते हैं, एक माता से तो दूसरा पिता से। दोनों जींस मिलाकर बच्चे की नैन-नक्ष तय करते हैं। बच्चे को विरासत में एक और चीज मिलती है और वो है जेनेटिक बीमारियां। ये बीमारियां शरीर में जीन्स परिवर्तन, सेल्स के बढ़ने या फिर कुछ कैमिकल्स के संपर्क में आने से भी हो सकती है।
'जेनेटिक टेस्टिंग' से पता चलेगी बीमारी
जेनेटिक टेस्टिंग में खून या बाल का नमूना लैब में भेजा जाता है, जिसके जरिए विशेषज्ञ डी.एन.ए. (DNA) की जांच कर पता लगाते हैं, कि माता-पिता के किस जींस से बच्चे को खतरा है। इससे व्यक्ति के कुछ और टेस्ट भी करवाएं जाते हैं, ताकि इसे अच्छी तरह समझा जा सके। हालांकि इससे बीमारी को पूरी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह एक नेचुल प्रोसेस है। हां मगर इससे समय रहते बीमारी का इलाज जरूर किया जा सकता है।
कब कराएं आप जेनेटिक टेस्टिंग?
अगर इनमें से कोई भी जेनेटिक डिसऑर्डर आपके या आपके पार्टनर के परिवार पीढ़ियों से चला आ रहा हो तो ऐसे में आप जेनेटिक टेस्टिंग जरूर करवाएं।
. गर्भाश्य से जुड़ी बीमारी
. ब्रेस्ट एंड ओवेरियन कैंसर
. सीलिएक रोग
. मैक्यूलर डिजनेरेशन
. बाइपोलर डिसऑर्डर
. मोटापा
. पार्किंसंस डिसीज़
. सिस्टिक फाइब्रोसिस
. तै-सैश डिजीज
होते हैं कुछ नुकसान भी...
जहां जेनेटिक टेस्टिंग के फायदे हैं वहीं इसके कुछ नुकसान भी है। जब आपको किसी बीमारी के बारे में पता चलता है तो इससे आप तनाव से घिर जाते हैं। ऐसे में बेहतर यही होगा कि इस टेस्ट को करवाने से पहले आप खुद को मानसिक तौर पर तैयार कर लें।
जेनेटिक टेस्टिंग की जरूरत हर किसी को नहीं होती। अगर आपके परिवार में आनुवांशिक बीमारियों का इतिहास है तभी यह टेस्ट करवाएं।