जब खुद पर यकीन हो व कुछ करने की हिम्मत हो तो महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को पुरुषों से बेहतर साबित कर सकती है। इसी बात को सच कर रहीं है दो बहने कुशिका व कनिका। दोनों बहनों ने लाखों के पैकेज छोड़ कर उतराखंड की खेती में ऐसे बदलाव किए की पहाड़ों से लोगों का पलायन तो कम हुआ साथ ही बाहर से पर्यटक वहां पर पहुंचते हैं। वहां पर उन्होंने ने केवल जैविक खेती को एक नया मुकाम दिया है बल्कि लोगों को भी रोजगार देने शुरु कर दिया है। आपको बताते है इन दोनों बहनों की मल्टीनेशनल कंपनी से खेतों में काम करने की कहानी...
दोनों बहनों की पढ़ाई कुमाऊं अंचल के नैनिताल व रानीखेत से हुई। इसके बाद कुशिका ने एमबीए करने के बाद गुरुग्राम की मल्टी नेशनल कंपनी में लाखों के सैलरी पैकेज पर काम करना शुरु किया। वहीं कनिका ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल कर इंटरनेशनल एनजीओ से जुड़ गई। अपने काम के दौरान वह दोनों भीतर से ही घुट रहीं थी क्योंकि उन्हें घर-गांव की खूबसूरत वादियां बहुत ही याद आ रही थीं। इतना ही नहीं उन्होंने महसूस किया की आज लोगों के पास सब कुछ होते हुए भी वह आरामदायक जिदंगी के लिए प्राकृति के साथ कुछ समय बिताना पसंद करते हैं। यहीं से उन्हेें आइडिया आया क्यों न गांव पहुंच कर वह ऐसा काम करें जिससे लोग जिदंगी का पूरा मजा ले सकें।
दक्षिण भारत के राज्यों से सीखी जैविक खेती
नौकरी छोड़़ने के बाद जब दोनों बहने अपने गांव मुक्तेश्वर लौटकर आई तो उनका दिमाग जैविक फॉर्मिंग पर टिका हुआ था। इसके लिए दोनों बहनों ने दक्षिण भारत के कई राज्यों से जैविक कृषि करनी सीखीं।2014 में जब उन्होंने शुरुआत की तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा उन्होंने 25 एकड़ जमीन पर खेती करनी शुरु की थी। इसके साथ ही उन्होंने ‘दयो – द ओर्गानिक विलेज रिसॉर्ट’ नया प्रयोग किया।
खुद सब्जी तोड़ो, बनाओं व खाओ
दोनों बहनें गांव के बच्चों को शिक्षा के साथ हॉस्पिटैलिटी की भी ट्रेनिंग दे रहे है। जिससे लोग खुद खेतों से सब्जी तोड़ कर लाते है व बनाते है। उनका यह प्रयोग विदेशी पर्यटकों का काफी पसंद आ रहा है। रिसॉर्ट में शेफ की भी व्यवस्था की गई है जिनसे वह अपना मनपसंद खाना बनवा सकते है। दोनों बहनें मिलकर आसपास के लोगों को जैविक खेती के बारे में जागरुक कर रही हैं। इसी के साथ उन्होंने अपने कृषि उत्पाद बेचने के लिए सप्लाई चेन बनाने की शुरुआत की है जिससे उनके उत्पाद सीधे मंडी तक पहुंच रहे हैं।
पलायन रोकने के लिए रोजगार जरुरी
दोनों बहनों का मानना है कि उत्तराखंड के पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना जरुरी हैं। इसके लिए जरुरी है कि यहां पर पर्यटनों की संख्या में बढ़ोतरी हो। जब सरकार व शासन द्वारा यहां के लोगों का साथ दिया जाएगा तो कोई भी व्यक्ति खूबसूरत पहाड़ों को छोड़कर नही जाएगा।
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