डिप्रैशन यानी की अवसाद एक एेसी समस्या है जिसने कई लोगों को अपना शिकार बनाया हुआ है। इससे बड़े ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी ग्रस्त हैं। कई बार डिप्रैशन कुछ समय के लिए रहता तो कुछ बार यह भयानक रूप ले लेता है। आधुनिक समय में अवसाद के कारण बच्चों और किशोरों में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि वे कौन-सी बातें हैं जो बच्चों में डिप्रैशन को बढ़ा रही हैं।
1. तनाव
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सिर्फ बड़े लोग ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी तनाव या चिंता से ग्रस्त हैं। स्कूल की पढ़ाई के बाद ट्यूशन जाना यानी पूरा दिन सिर्फ पढ़ाई में लगे रहने से तनाव शारीरिक तंत्र को कमजोर करता है। हर घंडी चिंता में रहने से शरीर में लगातार कोर्टिसोल बनता है डिप्रैशन की ओर ले जाता है।
2. कम खेलकूद
घर में रहने और टीवी देखने से बच्चे कुछ अलग और नया नहीं सीख पाते। इसी वजह से जब भी उनके सामने छोटी सी भी समस्या आती है तो वह उसको सुलझान नहीं पाते और चिंता करने लगते हैं। बाल मनोविज्ञानी कहते हैं कि खेल-कूद से बच्चे अपनी हर प्रॉब्लम को दूर कर पाते हैं।
3. पारिवारिक बिखराव
माता-पिता को हमेशा लड़ते-झगड़ते देखने से भी बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। अपने पेरेंट्स को अलग होते और परिवार को टूटता हुए देखकर वह डिप्रैशन के शिकार हो जाते हैं।
4. शूगर का ज्यादा इस्तेमाल
बच्चों के खान-पान की वजह से भी वह डिप्रैशन का शिकार हो रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार शूगर की ज्यादा मात्रा का संबंध डिप्रैशन और शिजोफ्रेनिया से है। यह दिमाग के विकास के हार्मोन को भी प्रभावित करती है। डिप्रैशन और शिजोफ्रेनिया के मरीजों में इस हार्मोन का स्तर कम पाया जाता है ।
5. इलैक्ट्रॉनिक खेलों की लत
आजकल बच्चे बाहर खेलने की बजाय कंप्यूटर या फिर टीवी के सामने बैठे रहते हैं। ज्यादा देर तक इलैक्ट्रॉनिक का इस्तेमाल करने से अवसाद होने की ज्यादा संभावना होती है ।
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