हर व्यक्ति की तरह ही हर पेरेंट्स अपने आप में खास होते हैं। किसी भी व्यक्ति की संस्कृति, मूल्य, पालन-पोषण, सामाजिक-आर्थिक कारक तथा जिंदगी का अनुभव ही उसके पेरेंट होने की किस्म पर निर्धारित करते हैं और पेरेटिंग अपने आप में एक सफर की तरह है। कई स्टाइल हैं, जिनका लोग अपने बच्चों की परवरिश में इस्तेमाल करते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि आप किस किस्म के पेरेंट हैं।
टाइगर पेरेंट्स
'टाइगर मॉम' का नाम तो आपने सुना या पढ़ा ही होगा। टाइगर पेरेंट्स भी थोड़ा उसी तरह के होते हैं। ऐसे लोग बच्चों की पढ़ाई को ज्यादा अहमियत देते हैं और साथ ही खाली समय को नकारते हुए उनकी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज का बहुत ध्यान से चुनाव करते हैं। उन्हें अपने बच्चों से काफी अपेक्षाएं होती हैं।
लॉनमोवर पेरेंट्स
उन्हें ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अपने बच्चों के लिए सबी बाधाएं हटाकर एक नया रास्ता तैयार करते हैं, जिसके कारण बेआरमी या पैदा हो सकती है।
हम्मिंगबर्ड पेरेंट्स
इस श्रेणी में वो लोग आते हैं जो हैलीकॉपटर पेरेंट्स का मूक संस्करण होते हैं। वे अपने बच्चों के आस-पास तो मंडराते हैं लेकिन उनके फैसलों में अतयधिक दखलअंदाजी नहीं करते। अगर उनके बच्चों को सहायता की जरूरत हो तो वे शारीरिक और भावनात्मक तौर पर हमेशा उनके लिए मौजूद रहते हैं। वे कोशिश करते हैं कि बच्चों का कोई भी फैसला वे ना लें और ना ही हर संघर्ण से उनकी रक्षा करते हैं।
एलीफैंट पेरेंट्स
एलीफैंट पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश का ख्याल रखने वाले और उनके प्रति रक्षात्मक रवैया रखने वाले होते हैं, खासकर बच्चों की जिंदगी के शुरूआती दौर में। इनके लिए भावनात्मक सुरक्षा तथा संबंधों का बहुत महत्व होता है।
हैलीकॉपटर पेरेंट्स
ऐसे लोग लगातार अपने बच्चों पर नजर रखते हैं। यह सैटेलाइट की तरह उनका पीछा करते हैं। ऐसे पेरेंट्स बच्चे की जिंदगी के हर पहलू को छानते हैं फिर चाहे वो बड़े ही क्यों ना हो जाएं।
डॉल्फिन पेरेंट्स
पुस्तक 'द डॉल्फिन पेरेंट: गाइड टू रेजिंग हैल्दी, हैप्पी एंड सैल्फ मोटीवेटिड किड्स' के लेखक डा. शिमी कैंग ने इस शब्द की स्थापना की थी। इस किस्म के मां-बाप अपने समुदाय के सहयोग, लचक तथा संतुलन का इस्तेमाल बच्चों की परवरिश में करते हैं।
शेरपा पेरेटिंग
परवरिश की इस शैली का मां हिमालय के शेरपा समुदाय के नाम पर रखा गया है। इस किस्म के माता-पिता पर्तारोहियों की तरह बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। यह बच्चों का पालन-पोषण करना अपना कर्तव्य समझते हैं। साथ ही उनका सारा भार उटाना और उनकी जिम्मेदारियों को अपने ऊपर ले लेने से उनकी तरक्की में बाधा पैदा होती है।
अटैचमैंट पेरेंट्स
ऐसा लगता है जैसे माता-पिता अपने बच्चों की नाभि नाल मां-बच्चे से अलग नहीं करना चाहते। वे हर समय बच्चे से चिपके रहते हैं। वे बच्चे के पालन-पोषण के लिए हर संभव शारीरिक ताकत लगा देते हैं।
फ्री रेंज पेरेंट्स
ऐसे लोगों को अपने बच्चों को फ्री रेंड प्रोडक्ट खिलाने वाले माता-पिता मानने की बिल्कुल भूल ना करें। माता-पिता की इस किस्म को हैलीकॉपटर के विररीत माना जाता है। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों को जिम्मेदारियां उठाने और आजादी देने में यकीन नहीं रखते।
जैली फिश पेरेंट्स
ऐसे पेरेंट्स में अथॉरिटी की की होती है और यह अपने बच्चों को अनुशासन में नहीं रख पाते। इन्हें बच्चों से कोई अपेक्षा नहीं होती। वे अपने बच्चों के नखरे उठाते रहते हैं और उनकी हर मांग पूरी करते हैं। वे किसी भी तरह का झगड़ा नहीं चाहते हैं।
मिलिट्री पेरेंट्स
यह परवरिश का एक तानाशाही तरीका है। ऐसे माता-पिता अनुशासनात्मक होते हैं और बच्चों पर नियम लाद देते हैं। अगर बच्चे से कोई गलती भी हो जाए तो वे उसे कड़ी से कड़ी सजा देने में नहीं हिचकिचाते। उनके साथ रहना किसी आर्मी कैंप से कम नहीं होता।