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चिकित्सा क्षेत्र के लिए चुनौती बना हुआ है बच्चों का ये रोग

  • Updated: 19 Jun, 2015 01:22 PM
चिकित्सा क्षेत्र के लिए चुनौती बना हुआ है बच्चों का ये रोग

Autism क्या है : ऑटिज्म या बच्चे का मंदबुद्धि होना चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक चुनौती बना हुआ है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में लक्षण एक जैसे नहीं होते ।इसी कारण इसे कोई एक बीमारी नहीं बल्कि रोगों का एक समूह ‘ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसआर्डर’ कहा जाता है। इसके मुख्य लक्षण हैं शारीरिक तथा मानसिक अपंगता, आत्मलीनता, ध्यान केन्द्रित न कर सकना, बोलने में मुश्किल, आंखों में आंखें डाल कर बात न करना, एक ही शारीरिक क्रिया बार-बार दोहराना और बिना मतलब हंसना या रोना । 

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है जिस कारण उन्हें विभिन्न संक्रमणों का खतरा रहता है । आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के अनुसार यह एक जन्मजात रोग है । कई डाक्टर इसे मानसिक रोग भी मानते हैं । एक तरफ कोई ठोस इलाज न होना और दूसरी तरफ ऐसे बच्चों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि ने अनेक देशों के डाक्टरों को इस समस्या पर बिल्कुल नए ढंग से सोचने के लिए मजबूर किया ।

उनके द्वारा की गई शोधों में यह पाया गया कि ऑटिज्म का कारण दिमाग की संरचना में विकार नहीं बल्कि शरीर और इसके अंदरूनी रसायनों का असंतुलन है ।ऐसे अधिकतर वैज्ञानिक यह मानते हैं कि शरीर में रसायनों का असंतुलन हवा, पानी तथा खाने में मौजूद विषैले तत्वों के कारण होता है । ये विषैले तत्व प्रजनन प्रक्रिया के दौरान मां के खून के माध्यम से बच्चे तक पहुंच जाते हैं और उसके नाड़ी तंत्र तथा अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव डालते हैं । 

कई खाद्य तत्वों की कमी के कारण भी ऑटिज्म जैसे लक्षण पैदा होते हैं उदाहरण के तौर पर जिंक, विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘डी’, फोलिक एसिड, ग्लूटाथियान, कुछ प्रकार के अमीनो एसिड्स तथा कुछ एंटी ऑक्सीडैंट्स की कमी इत्यादि । इसी तरह यदि बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाए तो कब्ज, पाचन शक्ति का कमजोर होना, आंतड़ियों में सूजन तथा बार-बार खांसी होने से पोषक तत्वों की कमी बढ़ जाती है ।

इसके साथ ही हवा, पानी तथा खाने में मौजूद आर्सेनिक, लैड, मर्करी, कैडमियम, एल्युमीनियम तथा यूरेनियम जैसी धातुएं शामिल होती हैं । ये सारे विषैले तत्व नाजुक होने के कारण बच्चों के लिए अधिक घातक सिद्ध होते हैं । बहु-पद्धति उपचार पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने शरीर में एकत्रित हुए इन विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए कई तरीके कामयाबी के साथ आजमाए हैं जिनमें कीलेशन थैरेपी, पंचकर्मा, हरी सब्जियों के जूस, लहसुन, प्याज, विशेष तरह की खुराक, योगा, प्राकृतिक उपचार पद्धति तथा न्यूरोथैरेपी इत्यादि शामिल हैं । 

 


—डा. अमर सिंह आजाद

 

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