जापानी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार होता है जिस इन्सेफेलाइटिस नाम से भी जाना जाता है। यह क्यूलैक्स ट्राइिरनोटिक्स नामक मच्छर के द्वारा फैलता है। सबसे पहले इस वायरल की पहचान जापान में हुईं थी इसीलिए इसे जापानी बुखार कहा जाता है। सितंबर और अक्टूबर में यह वायरस अधिक फैलता है।
जब क्यूलेक्स प्रजाति का मच्छर रोग ग्रस्त पशु-पक्षिओं का खून चूसता है तो उस रोग के वायरस मच्छर में पहुंच जाते है। जब यहीं मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति उस बीमारी का शिकार हो जाता है। इस फीवर से शिकार व्यक्ति में 5 से 15 दिनों के बीच लक्षण दिखाई देने लगते है।
लक्षण
- सोचने, समझने, देखने और सुनने की ताकत कम होना
- बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और उल्टी होना
- भूख की कमी
- बहुत छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना
किन लोगों में होता इसका अधिक खतरा
यह रोग ज्यादातर 1 से 14 साल की उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से ऊपर के लोगों को अपनी चपेट में लेता है।
बचाव
- घरों की खिड़की और रोशनदानों में मच्छरजालियां लगवाकर रखें।
- जानवरों के संपर्क में आने के बाद हाथों को जरुर धोएं।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- कीटनाशक का छिड़काव जरूर करवाएं।
फैशन, ब्यूटी या हैल्थ महिलाओं से जुड़ी हर जानकारी के लिए इंस्टाल करें NARI APP