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सुषमा स्वराज की 'कार्डियक अरेस्ट' ने ली जान, जानें हार्ट अटैक और इस बीमारी में अंतर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 07 Aug, 2019 05:10 PM
सुषमा स्वराज की 'कार्डियक अरेस्ट' ने ली जान, जानें हार्ट अटैक और इस बीमारी में अंतर

भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की मौत ने सबको हैरान कर दिया है। उन्होंने महज 67 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। बता दें, देर रात कार्डिएक अरेस्ट आने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात करीब 11 बजे उनकी मौत हो गई। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं और उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। इसी कारण उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से भी मना कर दिया था।

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क्या है कार्डियक अरेस्ट?

जब दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो यानि दिल के अंदर के कुछ हिस्सों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान गड़बड़ा जाए तो कार्डियक अरेस्ट होता है। कार्डियक अरेस्ट होने की सबसे ज्यादा आशंका दिल की बीमारी वालों को होती है। जिनको पहले हार्ट अटैक आ चुका है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका बढ़ जाती है।

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हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर

बहुत से लोगों को लगता है कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट एक ही है लेकिन ऐसा नहीं है। हार्ट अटैक के दौरान दिल के कुछ हिस्सों में खून का बहाव जम जाता है। जबकि कार्डियक अटैक में दिल ठीक तरीके से काम करना बंद कर देता है और अचानक रुक जाता है।

महिलाओं में बढ़ता अटैक का खतरा

बदलते लाइफस्टाइल के चलते आजकल 30 से 35 साल की उम्र में भी हार्ट अटैक के मरीज सामने आ रहे हैं, जिसमें ज्यादातर संख्या महिलाओं की होती है। सिर्फ उम्रदराज ही नहीं बल्कि युवा लड़कियों को भी दिल की बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए। अटैक का खतरा उन महिलाओं को ज्यादा होता है, जो तनाव, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, प्रेगनेंसी प्रॉब्लम्स, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, मेनोपॉज, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम, कीमोथेरेपी की दवाएं, रेडिएशन थेरेपी या मेंटल स्ट्रेस की गिरफ्त में हो।

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कार्डियक अरेस्ट के कारण

सुषमा स्वराज को करीब 20 सालों से डायबिटीज की समस्या थी, जिसके कारण किडनी भी खराब हुई थीं। इसके साथ ही वह कार्डियक अरेस्ट का भी कारण बना। इसके अलावा यह समस्या स्मोकिंग, कोलेस्ट्राल का बढ़ना, एक्सरसाइज ना करना, हाई ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन के कारण होती है।

लापरवाही है सबसे बड़ी गलती

एससीए (सडन कार्डियक अरेस्ट) से पहले कोई खास संकेत नजर नहीं आते और मरीज की धड़कनें किसी भी समय अनियमित हो सकती हैं। एससीए के तुरंत बाद 3-6 मिनट में सीपीआर (हाथों से दबाव बनाना) या इलेक्ट्रिक शॉक न दिया जाए तो अवस्था जानलेवा हो सकती है। 80% से अधिक लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते व हृदय गति तेज होने पर हार्ट अटैक समझ लेते हैं जो गलत है।

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

  • दिल की धड़कने तेज होना
  • थकान महसूस होना
  • सांसों का छोटा होना
  • दिल में दर्द होना
  • चक्कर आना

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इसके अलावा कर्डियक अरेस्ट के दौरान रोगी अपनी चेतना अचानक खो बैठता है और शारीरिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं कर पाता। वहीं इसके कारण अचानक सांस व नब्ज भी रुक जाती है। दरअसल, कार्डियक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है इसलिए नाड़ी गिरने लगती है। धीरे-धीरे शरीर के तमाम अंगों तक ब्‍लड पहुंचना बंद हो जाता है और इससे मरीज की मौत हो जाती है।

सीपीआर है सबसे जरूरी

अगर किसी व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट हो जाए तो सीपीआर (Cardio-Pulmonary Resuscitation) देकर उसके बचाया जा सकता है। इसके अलावा इसके इलाज के लिए कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) दिया जाता है। इससे हार्ट रेट नियमित किया जाता है। डिफाइब्रिलेटर के जरिए बिजली के झटके दिए जाते हैं। जिससे दिल की धड़कनों को वापस लाने में मदद मिलती है।

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कार्डियक अरेस्ट से बचाव

  • डाइट में अखरोट, बादाम, मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही आदि लें।
  • जंक, फास्ट फूड कैफीन, शराब, धूम्रपान, पोस्सेड फूड्स से दूरी। इसके अलावा ट्रांस फैट, शक्कर और उच्च मात्रा में नमक से बचें।
  • 30-35 की उम्र के बाद रेगुलर चेकअप करवाएं।
  • कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में ध्यान रखें कि पीड़ित के शरीर में ऑक्सिजन जाती रहे और उसका रक्त प्रवाह बना रहे।
  • अपने कॉलेस्ट्रॉल का ध्यान रखें, क्योंकि ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल से अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • सीने में हल्की सी भी बेचैनी, पसीना, जबड़े, गर्दन, बाजू और कंधों में दर्द, सांस का टूटना बिल्कुल नजर अंदाज ना करें। इन लक्षणों के नजर आने पर तुंरत मेडिकल सहायता लें।
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