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मायके वालों ने जताया विरोध तो ससुराल ने दिया साथ, इस तरह मध्यप्रदेश की पहली महिला गाइड बनीं रेखा

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 24 Mar, 2021 11:58 AM
मायके वालों ने जताया विरोध तो ससुराल ने दिया साथ, इस तरह मध्यप्रदेश की पहली महिला गाइड बनीं रेखा

'अरे सास-बहू में कभी बनी है क्या?' यह वाक्य और यह शब्द अकसर आपने सुने होंगे। है ना? आज लोग जहां ससुराल वालों का नाम सुनते हैं तो उन्हें यही लगता है कि भई ससुराल वाले होंगे तो पक्का बहू के साथ मन मुटाव करेंगे और इनकी आपस में नहीं बनती होगी लेकिन आज हम आपको जिस महिला के बारे में बताने जा रहे हैं उनकी हिम्मत उनका मायका नहीं बल्कि ससुराल वाले बने और उन्हें लाइफ में आगे जाने के लिए इतनी हिम्मत दी कि आज वह मध्य प्रदेश की पहली महिला टूरिस्ट गाइड हैं। तो चलिए आपको इनकी दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी सुनाते हैं।

भोपाल की रहने वाली रेखा चोपड़ा

दरअसल हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम रेखा चोपड़ा है और वह भोपाल की रहने वाली हैं। इतना ही नहीं वह मध्यप्रदेश की पहली महिला टूरिस्ट गाइड भी है। उन्हें इस काम को संभालते तकरीबन 30 साल से ऊपर हो चला है।

22 साल की उम्र में हुई शादी

रेखा चोपड़ा की शादी महज 22 साल की उम्र में हो गई थी। अब बहुत से लोगों को लगता है कि शादी के बाद तो एक महिला की जिंदगी खत्म ही है लेकिन रेखा को शायद यह नहीं पता था कि शादी के बाद उनकी किस्मत कुछ इस तरह बदलेगी कि वह देश विदेश तक फेमस हो जाएंगी। जिस परिवार में रेखा की शादी हुई उनका  टूरिज्म का फैमिली बिजनेस था। हालांकि जब उनके ससुर  ने उनस काम के बारे में और आगे क्या करने के बारे में पूछा तो रेखा ने जवाब दिया कि वह टीचर बनना चाहती हैं क्योंकि उन्होंने बीएड किया हुआ था। इसके बाद उन्होंने इसी लाइन में आगे बढ़ना शुरू किया।

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ससुर के कहने पर टूरिस्ट गाइड कोर्स किया ज्वाइन

रेखा की जिंदगी चल रही थी लेकिन फिर एक दिन क्रेंद और राज्य सरकार ने टूरिस्ट गाइड का कोर्स शुरू किया। इसमें जाने का रेखा का तो कोई इरादा नहीं था लेकिन उनके ससुर ने उन्हें कहा कि वह इस कोर्स को ज्वाइन करे। रेखा और पति ने यह कोर्स ज्वाइन किया।

इस कोर्स में थी सिर्फ दो महिलाएं

हालांकि पहले तो इस कोर्स में 2 महिलाएं थी और बाकी सभी पुरूष थे। लेकिन वो महिला भी इस कोर्स को छोड़ गईं और अब रेखा अकेले ही इस कोर्स में बची लेकिन वह जाती रहीं। उन्हें इस तरह अकेले होने में अजीब तो लगता था लेकिन उन्होंने कभी खुद को रोका नहीं।

सास ने बढ़ाई हिम्मत लेकिन मायके वालों ने जताया विरोध

लोगों को लगता है कि मायके वाले ही बेटी को अपनी बेटी समझते हैं और ससुराल वालों के लिए वह पराई होती है लेकिन रेखा की कहानी में तो यह बिल्कुल ही अलग था। उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सास और ससुर उनकी हिम्मत बढ़ाते थे तो वहीं मायके ने इसका विरोध किया। ससुराल वालों ने न सिर्फ रेखा को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया बल्कि बेटे को भी संभाला।

पति आए दूसरी पोजीशन पर और खुद कर गईं टॉप

कोर्स किया और जब इसका रिजल्ट आया तो रेखा ने पति को भी पीछे छोड़ दिया और उन्होंने टॉप कर लिया। रेखा के लिए यह पल बेहद खुशी भरा था। इसके बाद उन्होंने टीचर की लाइन भी छोड़ दी और टूरिज्म इंडस्ट्री में आगे बढ़ने की सोची।

कईं मुश्किल भरे दिन भी देखे

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अब ऐसा तो कभी नहीं हो सकता है कि आप कहीं काम करें और उस काम में आपको कोई मुश्किल न आए। बस रेखा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो रेखा को पहली बार फ्रेंच ग्रुप के साथ सांची भेजा गया। हालांकि पहले पहले तो उनके लिए आसान नहीं था। कईं बार तो दिन इतने बुरे जाते कि वह सोचती थीं कि उन्होंने टीचर की जॉब क्यों ही छोड़ी। लेकिन परिवार वालों ने कभी उन्हें पीछे हटने के लिए नहीं कहा। वह आगे बढ़ती गईं।

मिल चुका है बेस्ट महिला गाइड का अवॉर्ड

कहते हैं कि आपको आपकी मेहनत का फल एक ना एक दिन जरूर मिलता है। हां इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन आपके नसीब का कोई छीन नहीं सकता है। और ऐसा ही कुछ हुआ रेखा के साथ। रेखा को मुख्यमंत्री द्वारा एबेस्ट महिला गाइड का अवॉर्ड भी मिल चुका है।

अमेरिका तक हैं इनके चर्चे

रेखा देश विदेशों तक अपने काम के लिए पहचानी जाती है। उनके आस-पास वाले लोग तो उन्हें जानते ही हैं लेकिन एक बार तो अमेरिका की एक टूरिस्ट लुइस निकल्सन ने रेखा का जिक्र फोर्ब्स इंडिया बुक में किया था। और लिखा था कि अगर आप कभी सांची गए और रेखा चोपड़ा के साथ नहीं गए तो समझिए आपने सांची नहीं देखा। इसके बाद रेखा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इतना ही नहीं उन्हें तो लोगों के कॉल तक आते हैं कि अगर वह फ्री हैं तो वह घूमने के लिए आ जाएं।

वाकई रेखा की कहानी आज कईंयों को प्रेरणा देती है। इससे एक यह सीख भी मिलती है कि एक महिला ही एक महिला को सपोर्ट करती है फिर वह चाहे मां हो या फिर सास।

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