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महिलाओं के लिए बने है ये अधिकार, क्या आपको है इसकी जानकारी ?

  • Edited By Nisha thakur,
  • Updated: 12 Jun, 2018 05:11 PM
महिलाओं के लिए बने है ये अधिकार, क्या आपको है इसकी जानकारी ?

महिलाएं अपनी प्रतिभा के दम पर आज हर क्षेत्र बड़े अच्छे ओहदे पर काम कर रहीं हैं। शायद ही कोई काम ऐसा हो जिसमें औरतों की भागीदारी न हो। वह अपने करियर को लेकर गंभीर रहती हैं। उनमें अपनी मेहनत और काबलियत के दम पर आगे बढ़ने की ललक होती है। वहीं,आजकल के समाज में भी कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनकी जिंदगी में मानसिक, शारीरिक, घरेलू हिस्सा, यौन उत्पीड़न,लिंग असमानता आदि जैसी कई कुरीतिया हिस्सा बन रही है। ऐसे में महिलाओं के अपने अधिकारों के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि समय आने पर वह अपने उन अधिकारों का इस्तेमाल कर सके जो उन्हें भारतीय कानून द्वारा दिए गए हैं। 

 


 घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो इसके लिए वह शिकायत दर्ज करवा सकती है। भारतीय कानून के अनुसार मां-बेटी,मां,पत्नी,बहू या फिर घर में रह रही किसी भी महिला पर घरेलू हिंसा करना अपराध है। 

 

मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार
रेप पीडित किसी महिला को मुफ्त में कानूनी मदद पाने का अधिकार दिया गया है। इस स्थिति में पुलिस थानाध्यक्ष के लिए जरूरी है कि वह लीगल सर्विस अथॉरिटीको सूचित करके उसके लिए वकील की व्यवस्था करे। 

 

 काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
अगर महिला ऑफिस या फिर अपने काम पर उत्पीड़न का शिकार हो जाती है तो वह यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है। 

 

 नाम न छापने का अधिकार
बलात्कार की शिकार हुई महिला को असली नाम न छपने देने का अधिकार है। उसके नाम की पूरी तरह से गोपनियता रखने का अधिकार दिया गया है। वह अपना ब्यान किसी महिला पुलिस अधिकार की मौजूदगी के सामने दर्ज करवा सकती है। 

 

 मातृत्व संबंधी अधिकार
महिलाओं को इस अधिकार के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। महिलाओं काे मातृत्व लाभ अधिनियम,1961 के तहत मैटरनिटी बेनिफिट्स का अधिकार दिया गया है। वह इस एक्ट के तहत गर्भवती होने पर 26 सप्ताह तक मैटरनिटी लीव ले सकती है। इसके अलावा इस दौरान उसकी सैलरी में कोई कटौती भी नहीं की जा सकती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं

 

 गरिमा और शालीनता का अधिकार
अगर महिला किसी मामले में अपराधी है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा संबंघी जांच की प्रक्रिया किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में होनी जरूरी है।

 

 रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार
महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें यह सुविधा भी दी गई है कि सूरज डूबने के बाद  या फिर सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। ऐसा सिर्फ प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।

 

 ईमेल के जरिए भी पुलिस में शिकायत
किसी कारण यदि महिला खुद पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती तो वो डिप्टी कमिश्नर या पुलिस कमिश्नर को अपनी शिकायत ईमेल या रजिस्टर्ड पोस्ट से भी भेज सकती है। 

 

 तलाक की याचिका साल 
हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार शादीशुदा जोड़ा शादी होने से के एक साल के भीतर तलाक की याचिका दर्ज नहीं की जा सकती।

 

 छेड़खानी के खिलाफ कानून
महिला की मर्यादा को भंग करते हुए अगर कोई उससे छेड़छाड़, कोई अभद्र इशारा या कोई गलत हरकत करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। 

 

 संपत्ति पर अधिकार
औरतों को दिए गए अधिकारों में यह अधिकार भी शामिल है कि पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है। इसके अलावा शादी के बाद पति की संपत्ति पर पत्नी का मालिकाना हक होता है। महिला को यह पूरा अधिकार है कि पति उसका भरण-पोषण करें। 

 

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