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जूते- चप्पलों के अभाव में बीता था सिवन का बचपन, अब है देश के रॉकेट मैन

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 08 Sep, 2019 05:53 PM
जूते- चप्पलों के अभाव में बीता था सिवन का बचपन, अब है देश के रॉकेट मैन

बचपन में घर के हालात जैसे भी हो अगर व्यक्ति के इरादे पक्के होते है तो वह अपनी मंजिल को जरुर हासिल करता हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बाद भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने न केवल अपनी मंजिल को हासिल किया बल्कि आज चंद्रयान-2 की कमान भी संभाली। के सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को हुआ था। 

जूते- चप्पलों के अभाव में बिताया बचपन 

के सिवन तमिलनाड के एक बहुत ही साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता खेती करके परिवार की जरुरतों को पूरा करते थे। जिस कारण उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में तमिल भाषा में हुई। उसके बाद आगे की शिक्षा के लिए मद्रास व बेंगलुरू के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से की। वह अपने परिवार के पहले बच्चे है जो कि ग्रेजुएट हैं। परिवार में अधिक पढ़े लिखे न होने के बाद भी उन्होंने कभी ट्यूशन का सहारा नही लिया था। उन्होंने अपनी पढ़ाई खुद की थी। 2007 में  आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से पीएचडी की थी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनके छोटे भाई व 1 बहनों की कॉलेज की पढ़ाई पूरी नही हो पाई थी। 12 वीं की परीक्षा में गणित में 100 प्रतिशत अंक आने पर पिता ने उन्हें आगे पढ़ाई की इजाजत दी थी लेकिन अपनी पढ़ाई के साथ भी वह खेतीबाड़ी में पिता का हाथ बंटाते थे।

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मिल चुकी हैं 'रॉकेट मैन' की उपाधि

के सिवन अंतरिक्ष विभाग के सचिव के साथ अंतरिक्ष आयोग व इसरो के चेयरमैन हैं। इससे पहले वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर का भी पद भी संभाल चुके हैं। कई अंतरिक्ष मिशन में योगदान देने व क्रायोजेनिक इंजन का विकास करने पर उन्हें 'रॉकेट मैन' की उपाधि दी गई थी। 1982 में उन्होंने इसरो के पीएसएलवी प्रोजेक्ट में शामिल होकर इसकी प्लानिंग व डिजाइनिंग के काम किए थे। उन्होंने डे ऑफ लॉन्च विंड बायसिंग स्ट्रैटजी तैयार कर मौसम की विपरीत परिस्थितियों में रॉकेट लांच किया था। 2017 में पीएसएलवी के जरिए 104 सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़े थे। 

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हासिल कर चुके है यह सम्मान 

2007 में इसरो मेरिट, 2011 में डॉ बिरेन रॉय स्पेस साइंस एंड डिजाइन अवॉर्ड, 2016 में इसरो अवॉर्ड फॉर आउटस्टेंडिंग अचीवमेंट, 2014 में चेन्नई यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि हासिल कर चुके हैं। 

 

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