पढ़ाई से लेकर रसोई या खेल की बात हो हर चीज में भारतीय आगे होते है, वह अपना अच्छा प्रदर्शन करने से कभी भी पीछे नही हटते हैं। इन्हीं रिकार्ड्स को कायम रखते हुए 32 साल के भारतीय पैरा स्विमर सतेंद्र सिंह लोहिया ने अमिरका में 42 किलोमीटर लंबे कैटलीना चैनल को 11 घंटे 33 मिनट में पार कर नया इतिहास रच दिया हैं। सतेंद्र ऐसे पहले भारतीय है जिन्होंने ने केवल भारतीय स्तर पर बल्कि एशियाई स्तर पर यह रिकॉर्ड बनाया है। इसके साथ ही उन्होंने साबित किया है कि शारीरिक विकंलगता कभी भी लक्ष्य को हासिल करने में बाधा नही डाल सकती हैं।
पांच खिलाड़ियों की थी टीम
मध्यप्रदेश ग्वालियर के रहने वाले सतेंद्र ने अपने पांच सदस्यों की टीम के साथ भाग लिया था। पूरी टीम ने चैनल को 11 घंटे 33 मिनट में पार कर एशिया का नया रिकॉर्ड बना दिया हैं। इस इतिहास को रचने वाले वह यह एशिया के पहले दिव्यांग तैराक हैं। उन्होंने सुबह 10.57 को सेंट कैटलीना आइसलैंड से तैरना शुरुकिया था, जो देर रात 10.30 बजे लॉस एंजिल्स में जाकर खत्म हुई।
जन्म के दो हफ्ते में हुए दिव्यांग
6 जुलाई 1987 को मध्य प्रदेश में जन्मे सतेंद्र सिंह लोहिया जन्म से ही दिव्यांग नही है। वह अपने जन्म के दो सप्ताह के भीतर ही गंभीर दस्त के कारण बीमार हो गए थे। इस दौरान मेडिकल लापरवाही के कारण दोनों पैरों की नसे पूरी तरह सिकुड़ गई थी जिस कारण उनके शरीर का निचला हिस्सा विकलांग हो गया था। इस के बाद उनके व उनके माता पिता के जीवन नें आर्थिक सकंट के साथ यह भी नया सकंट शुरु हो गया था। उस समय उनके माता पिता ने इनकी विशेष देखभाल के साथ उनकी प्राथमिक शिक्षा को निश्चित किया।
बचपन से ही पड़ा तैराकी का शौक
सतेंद्र को तैराकी का शौक बचपन से ही शुरु हो गया था। तब वह स्कूल जाते थे तो घंटों नदी में तैरते थे। नदी में तैराना उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था। उनकी इस विकलांगता को कारण लोगों को विश्वास नही हो रहा था वह एक तैराक बन पाएगें। इसके बाद उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए तैराकी सिखने का फैसला लिया। अपनी पढ़ाई के साथ उन्होंने तैराकी सीखनी शुरु की। इस समय वह इंदौर में सरकारी नौकरी कर रहे हैं। इससे पहले वह नेशनल तैराकी में जीत हासिल की थी जिसके बाद उन्हें मध्यप्रदेश के विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
रिकॉर्ड बनाने के लिए आई काफी चुनौतियां
सतेंद्र ने बताया कि कैटलीना चैनल को पार करना बहुत ही मुश्किल काम था। दिल ने तेज हवा चलने के कारण उन्हें रात में तैराकी शुररु करनी पड़ती। ऐसे में चैनल की गहराई का पता लगाना बहुत ही मुश्किल होता व कई अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता। ऐसे में उन्होंने अपनी टीम के साथ चुनौतियां फेस करते हुए इस नए रिकॉर्ड को बनाया हैं। इस चुनौती के लिए उन्होंने जून में ही तैयारी शुरु कर दी थी।
लाइफस्टाइल से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए डाउनलोड करें NARI APP