भारत में आज भी कई महिलाएं है जो कि पीरियड्स के दिनों में सैनिटरी नैपकिन की जगह कपड़े व अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करती हैं। इससे महिलाओं के स्वस्थ पर काफी बुरा असर पड़ता है। महिलाओं के स्वस्थ को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा सैनिटरी पैड के लिए एक मुहिम शुरु की गई थी, जिसके तहत जन औषधि केंद्रों पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध थे। सरकार द्वारा जन औषधि केंद्रो पर बिकने वाले सैनिटरी नैपकिन पेपर की कीमत कम करके 1 रूपए कर दी गई हैं। इससे पहले इसकी कीमत ढाई रुपए थी।
इस समय सरकार द्वारा 5500 आउटलेट्स पर ब्रांड ’सुविधा’ के नाम पर मिलेगें। रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन सब्सिडी दर पर ही मिलेगें। यह कदम महिलाओं को सुरक्षा व सफाई में ध्यान में रख कर उठाया गया हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले 10 रूपए में चार पैड का पैक मिलता था लेकिन जल्द ही इसका दाम 4 रुपए कर दिया जाएगा।
नरेंद्र मोदी सरकार ने भाजपा की ओर से आम चुनाव 2019 में इनकी कीमत में 60 प्रतिशत की कटौती करने की बात कही थी इसलिए अब इनके मूल्यों को नीचे लाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि 2018 में शुरु होने के बाद अब तक एक साल में इन केंद्रों पर 2.2 करोड़ सैनिटरी नैपकिन बेचे गए हैं।
क्या होता है बायोडिग्रेडेबल?
बायोडिग्रेडेबल यानि यह पर्यावरण को किसी भी तरह से प्रदूषित नही करता है। यह नैपकिन मार्केट में मिलने वाले सिंथेटिक फाइबर या प्लास्टिक से नही बने होते है।
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