फ्लू खतरनाक जानलेवा वायरस हैं जो कई प्रकार के होते हैं। इन्हें इंफ्लुएंजा भी कहते हैं। इन्हीं में से एक है बर्ड फ्लू जो जानवरों के जरिए इंसान में फैलने वाला वायरस है। हाल ही में इसके फैलने के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें बिहार का नाम शामिल है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस रोग के यूपी व दिल्ली में फैलने की आशंका भी है। इस रोग से खुद को बचाने के लिए आप कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
3 प्रकार के होते हैं वायरस
बर्ड फ्लू नाम के वायरस के बारे में जानकारी लेने से पहले आपको पता होना चाहिए कि यह वायपस होता कितने प्रकार का है। इस बारे में पूर्ण जानकारी होने के बाद ही आपको इलाज में मदद मिलेगी। आमतौर पर वायरस तीन प्रकार के होते हैं- A, B और C वहीं इन तीनों में सबसे खतरनाक A माना जाता है। यह वायरस इंसानों और जानवारों दोनों के जरिए फैल सकता है। इसीलिए बर्ड फ्लू को टाइप A वायरस के अंतर्गत रखा गया है।
क्या है बर्ड फ्लू?
एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1) नाम का वायरस बर्ड फ्लू के नाम से पॉपुलर है। इस वायरस में इंसान व पक्षी सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यह चिकन, टर्की, गीस और बत्तख की प्रजाति जैसे पक्षियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इससे इंसान और पक्षियों की मौत तक भी हो सकती है।
कैसे पहुंचता है इंसानों तक बर्ड फ्लू?
इंसानों में यह इंफेक्शन मुर्गियों या अन्य पक्षियों के बेहद निकट रहने से ही फैलती है। यानि मुर्गी की अलग-अलग प्रजातियों से डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट कॉन्टेक्ट में रहने से इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस फैलता है फिर चाहे मुर्गी जिंदा हो या मरी हुई। इंसानों में ये वायरस उनकी आंखों, मुंह और नाक के जरिए फैलता है। इसके अलावा इंफेक्टिड बर्ड्स की साफ-सफाई और उन्हेंनोंचने से भी इंफेक्शन फैलता है।
बर्ड फ्लू होने पर दिखाई देते लक्षण
बुखार
हमेशा सर्दी-जुकाम रहना
नाक बहना
सिर में दर्द रहना
गले में सूजन
मांसपेशियों में दर्द
दस्त होना
जी घबराना
पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना
सांस लेने में दिक्कत
पेट संबंधी परेशानियां
मसूड़ों से खून आना
थूक के साथ खून आना
बर्ड फ्लू से बचाव
जहां पर बर्ड फ्लू का प्रकोप है, वहां ना जाएं। चिकन व मटन खाने से परहेज करें।
मरीज को एकांत में रखें
मरीज का कमरा अलग करें इससे वायरस बाकियों को होने का खतरा कम होगा। इसके अलावा बात करते समय अपने नाक और मुंह को ढककर रखें।
पालतू पक्षियों से दूर रहें
संभव हो तो आप ग्रामीण क्षेत्रों, छोटे खेतों और खुली हवा वाले बाजारों में जाने से परहेज करें।
हाथ अच्छे से धोएं
अल्कोहल वाले हैंड सेनिटाइज़र्स का इस्तेमाल करें। जिसमे कम से कम 60 प्रतिशत एल्कोहल शामिल हो। यह सबसे आसान और बेहतर बचाव में से अक है।
इन्फ्लूएंजा टीके का प्रयोग
ऐसी जगह में जाने से पहले अपने डॉक्टर से इन्फ्लूएंजा का टीका लगवाने के बारे में बात करें। यह टीका पक्षियों व मानव फ्लू वायरस एक साथ होने के संक्रमण के खतरे को कम करता है।
क्रॉस कंटैमिनेशन से बचें
कटिंग बोर्ड, बर्तन जो पोल्ट्री पदार्थों के संपर्क में आती हैं उनको अच्छे से साबुन वाले गर्म पानी के साथ धोएं।
अच्छे से पकाएं
जब तक रस साफ नहीं हो जाता तब तक चिकन को पकाते रहें, पकाने के लिए तापमान कम से कम 165 फारेनहाइट (74 सेल्सियस) रखें।
कच्चे अंडों को अलग संभाल कर रखें
अंडे की ऊपरी परत अक्सर पक्षियों के मल से दूषित होती है। इसलिए कच्चे व अधपके अंडों को अलग से संभालकर रखें।
मरे हुए पक्षियों से दूर रहें
अगर आपके आस-पास किसी पक्षी की मौत हो जाती है तो इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें।
सही एरिया से खरीदें नॉन-वेज
जहां से नॉनवेज खरीदें वहां सफाई का पूरा ध्यान रखें। बर्ड फ्लू वाले एरिया में नॉनवेज ना खाएं।
तरल पदार्थों का सेवन
अधिक मात्रा में तरल पदार्थों जैसे पानी, सूप और फलों के रस आदि का सेवन करने से इस समस्या से बचाव किया जा सकता है।
शारीरिक परिश्रम से बचें
इस समस्या मे आराम की बहुत जरूरत होती है इसलिए ज्यादा शारीरिक परिश्रम ना करें। इससे समस्या बढ़ सकती है।
शराब और तंबाकू से बचें।
शराब और तंबाकू का सेवन करने से यह समस्या गंभीर हो सकती है इसलिए इसका सेवन करने से बचें।
भाप लें
इसमें भाप लेने की क्रिया का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। जिससे सांस लेने में होने वाली दिक्कत ठीक हो जाती है।