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भारत में प्रीमैच्योर बच्ची को लगी हार्टबीट मशीन, जानिए क्या है यह?

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 18 Nov, 2019 02:06 PM
भारत में प्रीमैच्योर बच्ची को लगी हार्टबीट मशीन, जानिए क्या है यह?

भागते या दौड़ते समय अक्सर ही दिल की धड़कने कम या ज्यादा होती है लेकिन कई बार नॉर्मल रहते हुए भी दिल की धड़कने कम या अधिक होती है तो यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। कई बार दिल की धड़कने के नॉर्मल न होने पर शरीर में सर्जरी करके पेसमेकर लगाया जाता है। जिससे दिल की धड़कनों को कंट्रोल किया जाता है। 

हाल ही में चेन्नई के निजी अस्पताल में एक प्रीमैच्योर बच्ची ने जन्म लिया है जिसे पेसमेकर लगा कर बचाया गया। 27 हफ्ते की गर्भावस्था के बाद जन्मी इस बच्ची का वजन सिर्फ 900 ग्राम ही था। डॉक्टर के अनुसार जन्म से ही इस बच्ची के दिल में ब्लॉकेज था जिस कारण वह एक मिनट में 50 से 60 बार धड़क रहा था। दुनिया में यह 4  केस  है जिसमें जन्म के समय प्रीमैच्योर बच्ची को पेसमेकर लगाया गया हो। 

पेट में लगा है पेसमेकर

स्टेरॉइड थेरेपी से जन्म लेने वाली इस बच्ची के सीने में जगह बहुत ही कम थी जिस कारण उसके पेट में पेसमेकर लगाया गया। सर्जरी के बाद 70 दिनों तक वेंटीलेटर पर रखा गया था। अस्पताल से छुट्टी देने से पहले जब बच्ची का वजन देखा गया तो वह ढाई किलो की हो चुकी थी। 

 

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मां को थी ल्यूपस नामक बीमारी 

डॉक्टर के अनुसार बच्ची की मां को ल्यूपस नामक बीमारी थी। जिस कारण बच्ची की मां कई सालों से गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। उसका दो बार गर्भपात हो चुका था। 

चलिए आपको बताते है कि क्या है पेसमेकर और इसकी जरुरत क्यों पड़ती हैं? 

जिस व्यक्ति के दिल की धड़कन असामान्य होती है उसे पेसमेकर लगाने की जरुरत पड़ती है। यह एक छोटा सा उपकरण होता है जिसे दिल के पास लगाया जाता है कि दिल की गति को नियमित किया जा सके। यह रक्त के तापमान, सांस के पैटर्न को ध्यान में रखता है और शारीरिक गतिविधियों के अनुसार दिल की गति को सही रखता है। 

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क्या है इसके नुक्सान 

पेसमेकर बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती है। जिस कारण मरीज को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं। 

- सर्जरी के दौरान व बाद में रक्तस्त्राव और चोट लगने का डर 

- रक्त वाहिकाओं , नसों में एलर्जी होने का डर 

- कई बार व्यक्ति फेफड़े और दिल की बीमारी से पीड़ित हो सकता है। 

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इन बातों का रखें ध्यान 

- पेसमेकर लग जाने के बाद मोबाइल फोन का इस्तेमाल पेसमेकर के विपरीत वाले कान पर लगाकर करना चाहिए। 

- कभी भी एमआरआई नहीं करवानी चाहिए इससे पेसमेकर का सर्किट खराब हो सकता है।

- इसके मरीज अल्ट्रासाउंड, इकोकारडायोग्राम, एक्स-रे सीटी स्कैन करवा सकते है इससे उन्हें किसी भी तरह से घबराने की जरुरत नहीं। 

- रेडिएशन थेरेपी करवाते समय पेसमेकर खराब हो सकता है। 

- हाई वॉल्टेज वायर और यहां बड़ी- बड़ी तारें हो उनसे दूर रहना चाहिए। 

- मेटल डिटेक्टर से निलते समय इस बारे में सुरक्षा अधिकारियों को बता देना चाहिए।

- सर्जरी के बाद मरीज को शारीरिक रुप से सक्रिय रहना चाहिए। 

- चक्कर आना, उल्टी, ज्यादा पसीना आना, छाती में दर्द होना आदि समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। 

 

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