हर रोज एक नई शरारत, अपनी मनमानी पर आ जाएं तो मनवा कर छोड़ना, दोस्तों के साथ मस्ती और धमाल तथा ढेरों बातें अपनी कल्पना से इजाद कर सुनाना... यही तो होती है बचपन की रवानगी। यह एक एेसी उम्र होती है, जब बच्चे बिना किसी स्ट्रेस के अपनी मस्ती की दुनिया में खोए रहते हैं। इन सबके बावजूद कुछ तो है जो हमारे पास तो था पर उनके पास से गुम होता जा रहा है और पेरेंट्स की इच्छाएं उन्हें उस तरफ सोचने भी नहीं देतीं।
1. खो गए खेल
हम सब ने अपने बच्चपन में गुड्ढे-गुड़ियों के खेल, मिट्टी के घरौंदे, बरखा के गीत और कागज की किश्ती, गिल्ली-डंडा एवं स्टाप... इत्यादि खेलते थे। वहीं हमारे बच्चे आज इन सबसे अनजान हैं। देखा जाए तो आज उनके पास इन सब खेलों के लिए वक्त भी नहीं है। उन्हें तो पढ़ाई, योगा क्लास, डांस क्लास एवं ट्यूशन में ही वक्त नही मिलता और यदि थोड़ा-सा वक्त मिले तो भी वे उसमें कार्टून नैटवर्क देखने या वीडियो गेम खेलना पसंद करते हैं। आज के दौर में बच्चों का बचपन तो बस दूसरे बच्चों से कॉम्पिटिशन करते ही बीत जाता है।
2. बने ऑल राऊंडर
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा ऑल राऊंडर बने पर अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए वे बच्चे पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ डाल देते हैं। इससे बच्चा ऑयल राऊंडर तो बन जाता है परंतु इन सबमें उसका बचपन इससे कहीं छिन-सा जाता है।
बच्चे कोमल फूल की तरह होते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा देना हर माता-पिता का कर्तव्य है परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि बच्चों को किताबों में ही बंद कर दिया जाए।
3. रोको मत
बच्चे जो कर रहे हैं उनको वह करने दें। अगर वह स्कूल से आने के बाद थोड़ी देर खेलना चाहते हैं तो उनको खेलने से रोके नहीं। थोड़ी देर खेल लेने से बच्चे की पढ़ाई पर तो कोई असर नहीं होगा। मगर उसका शारीरिक विकास जरूर रूक जाएगा।
4. उन्हें बुद्धिमान बनाएं
इस बात में कोई दो राय नहीं कि आजकल के बच्चे प्रतिभा के मामले में अपने माता-पिता से कई गुना आगे बढ़ गए हैं। समय एेसा आ गया है कि प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए बच्चों को शार्प माइंडेड होना ही पड़ता है। इसलिए उन्हें बचपने को सहेजते हुए उम्र से ज्यादा बुद्धिमान भी होना पड़ता है।
कई बार पढ़े-लिखे होने के बाद भी जो बातें माता-पिता को पता नहीं होती। उस बारे में उनके बच्चे अच्छे से जानते हैं। आजकल के बच्चे जहां मोबाइल ऑप्रेट करना जानते हैं, वहीं उन्हें कंप्यूटर की भी जानकारी होती है। इसका कारण यह है कि बच्चों में सीखने व जानने की क्षमता बड़ों से कहीं अधिक होती है।
एेसे बढ़ाएं उन्हें आगे
- बच्चों की पढ़ाई के साथ खेलेने और नए दोस्त बनाने का मौका दें। उन्हें पार्क ले जाएं। जहां वे अपने हमउम्र बच्चों के साथ कई तरह के खेल-खेल सकें। अपने दोस्तों से वे कई तरह की बातें शेयर करते हैं। इससे वे बहिमुर्खी बनने के साथ-साथ अपनी कल्पना शक्ति का इस्तेमाल करना भी सीखते हैं।
- अपने बच्चे की रूचि पहचानें और यह देखें कि वह अपने खाली वक्त को कैसे इस्तेमाल करता है।
-यदि आपके बच्चे की रूचि कारों में हैं तो उसे बताएं कि कारों के लेटेस्ट मॉडल कौन-कौन से हैं। उनकी क्या खासियत है और यदि उसकी रूचि क्वॉयन क्लैक्शन में है तो उसे विश्व की मुद्राओं की जानकारी दें।
-कहीं भी बाहर घूमने जाएं तो बच्चे को उस जगह का इतिहास और विशेषता जरूर बताएं।
-बच्चों के प्रशनों के टालने की बजाय उन्हें संतोषप्रद जवाब दें।
- बच्चों के साथ आप भी बच्चे बनकर उनके हर खेल का लुत्फ उठाएं।