दुनियाभर में विभिन्न धर्मों के लोग अलग-अलग दिन नया साल भी मनाते हैं। भारत की बात करें तो यहां पर एक बार नहीं बल्कि साल में कई बार नया साल सेलिब्रेट किया जाता है। यहां पर हर धर्म के अनुसार अलग दिन नया साल होता है।
हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में नए साल का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। जिसे हिंदू वन सवंत कहा जाता है। इसी दिन से विक्रमी सम्वत के नए साल का भी आरंभ होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल महीनें में आती हैं। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता हैं।
जैन धर्म
जैन धर्म में नए साल की शुरुआत दीपावली से अगले दिन होती है। मान्यता के अनुसार भगवान महावीर स्वामी को दीपावली के दिन ही मोक्ष प्राप्ति हुई थी। इसके अगल दिन ही जैन धर्म के अनुयायी नया साल मनाते हैं। इसी वीर निर्वाण संवत कहते है। वहीं गुजरात में भी नए साल का आरंभ दीपावली के दूसरे दिन से ही माना जाता है। व्यापारी भी इसी दिन से नए साल की शुरुआत करते हैं।
इस्लामी कैलेंडर
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहरम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम समाज का नया साल हिजरी शुरु होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर चंद्र आधारित है।
सिंधी मान्यता
सिंधी में नए साल की शुरुआत चेटीचंड उत्सव से शुरु होती है जो चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताों के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुण देव का अवतार थे।
पंजाब
पंजाब में नया साल बैसाखी पर्व के रुप में मनाया जाताहै जो अप्रैल में आता है। सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, होला मोहल्ला ( होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।
पारसी धर्म
पारसी धर्म का नया साल नवरोज के रुप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते है। लगभग 3 हजार साल पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की।
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