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Women Empower: खेतो में काम करते-करते खोल ली शूज कंपनी, विदेशों में भी मशहूर है इनका ब्रांड

  • Updated: 25 Jun, 2018 06:16 PM
Women Empower: खेतो में काम करते-करते खोल ली शूज कंपनी, विदेशों में भी मशहूर है इनका ब्रांड

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मुश्किलों का सामना करते हुए भी मेहनत करना नहीं छोड़ते। अपने काम के लिए वह दुनिया के लिए भी मिसाल कायम कर देते हैं। हम बात कर रहे हैं मोइरांगथेम मुक्तामणि देवी की, जो अपने हुनर और मेहनत के दम पर 'मुक्ता शूज' कंपनी की मालकिन बन गईं। उनके बनाए जूते सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, मेक्सिको और अफ्रीकी देशों तक डिमांड है। उनकी कामयाबी के बल पर मुक्तादेवी को 'ट्रू लीजेंड अवॉर्ड्स 2018' से सम्मानित किया जा चुका है। 


ऐसी थी मुक्तामणि की शुरुआती जिंदगी
मुक्तामणि का जन्म मणिपुर में दिसम्बर 1958 में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने मुश्किलों को देखा। उनकी विधवा मां ने उनका पाल-पोषण किया और फिर जब वह 17 साल की हुई तो मुक्तामणि की शादी कर दी गई। शादी के बाद अपने चार बच्चों को पालने के लिए वह खेतों में काम करने लगी। इसके बाद शाम को अपने हाथ से बना सामान जैसे बैग,रबड़ बैंड आदि बनाकर भी बेचा करती थी। पच्चीस साल पहले कभी यह नहीं सोचा था कि वह एक दिन कामयाबी के शिखर तक पहुंच जाएगी।  

 

उनकी जिंदगी में कभी ऐसा दौर भी था, जब स्कूल जाने के लिए उनकी बेटी के पास एक जोड़ी जूते थे वो भी टूटे हुए। उन जूतों की आए दिन मुरम्मत करवानी पड़ती थी। इस परेशानी को सुलझाने के लिए मुक्तामणि ने बेटी के लिए ऊन के जूते बनाए। वह स्कूल ड्रेस के साथ तो मैच नहीं होते थे लेकिन उनकी बेटी की स्कूल टीचर न कहा कि उसे भी अपने बच्चों के लिए वैसे ही जूते चाहिए जैसे उसने अपनी बेटी के लिए बनाए हैं तो फिर उसकी खुशी की ठिकाना नहीं रहा। यहीं से उसे आइडिया मिला की क्यों न वह इसी काम को आगे बढ़ाएं। इसी सोच वह आगे बढ़ी और जूते बनाने का कारोबार शुरु किया। इसी से उनकी कामयाबी का सिलसिला आगे बढ़ना शुरू हो गया और उन्होंने साल 1990 में 'मुक्ता शूज' नाम से खुद की कंपनी भी बना ली।


आज 'मुक्ता शूज' कंपनी के हाथ से बनाए जूते जिसमें महिलाओं के सैंडल, बच्चों की चप्पल, पुरुषों के जूते आदि बना रही है। उनके बनाए जूते ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, मेक्सिको और कुछ अफ्रीकी देशों को भी निर्यात हो रहे हैं। वह आज सिर्फ जूते ही नहीं बना कर बेच ही नहीं रही बल्कि एक हजार लोगों को जूते बनाने के ट्रेनिंग भी दे रही है, जो स्टाइलिश जूते बनाना सीखते हैं। 

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