अगले महीने फिल्म मिशन मंगल आने वाली है, जो रियल मंगल मिशन पर आधारित है। इस फिल्म में भारत की उन 8 महिलाओं का जिक्र किया गया है जो इस मिशन का हिस्सा रही थीं। इन महिलाओं ने साबित कर दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं है और ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं नहीं कर सकतीं। वहीं देखा जाए तो पहले के मुकाबले आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दिखाने को तैयार खड़ी हैं शायद इसलिए हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाने की पहल दिखाई जा रही है। बहुत सारी वुमेन बेस्ड मूवीज के जरिए भी औरतों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
चलिए, आज हम आपको मंगल मिशन से जुड़ी 8 औरतों के काबिल-ए-तारीफ काम के बारे में बताते हैं जिन्होंने दुनिया में एक अलग इतिहास रच कर दूसरी महिलाओं को प्रेरित किया।
क्या था मंगलयान मिशन
5 नंवबर 2013 को मंगलयान उपग्रह को लांच किया गया था। जो कि 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंच था। यह भारत के पहले मंगल अभियान 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' पर आधारित है। ये एक स्पेसक्राफ्ट है। इस मिशन में खास बात यह थी कि इसमें 27 फीसदी काम महिलाओं ने संभाला था। मंगलयान मिशन में इन महिलाओं ने दिया है योगदान।
मंगलयान मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टरः मीनल रोहित
मीनल मंगलयान मिशन में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर नियुक्त रही है। जिसमें उन्होंने मीथेन सैंसर बनाने का काम किया था। इस मिशन में उन्होंने अपनी टीम के साथ एक कमरे में 18 - 18 घंटे काम किया है। इस समय वह इसरो में सिस्टम इंजीनियर है।
पहली सेटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टरः टीके अनुराधा
हमेशा से नील अम्स्ट्रॉन्ग को अपने रोले मॉडल मानने वाली अनुराधा इस प्रोजेक्ट में सबसे उम्रदराज थी। टीके अनुराधा 1982 में वरिष्ठ वैज्ञानिक के तौर पर जुड़ी हुई है। यह पहली महिला है जिन्हें सेटेलाइट प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बनने का गौरव हासिल हुआ। जीसैट 12 और जीसैट 10 की लांचिंग इन्ही की देखरेख में हुई है। इस समय यह यूआर राव स्पेस सेटर में जियोसैट प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही हैं।
रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया: रितु करिधल
लखनऊ की रहने वाली रितु ने इंडियन इंस्टिट्यूट से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की हैं। रितु रॉकेट वुमेन ऑफ इंडिया के नाम भी जानी जाती हैं। इन्हें 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों से इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका हैं। मिशन मार्स ऑर्बिटर में अपना योगदार देने के साथ यह मिशन चंद्रयान 2 में भी दे रही है।
मंगल मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टरः मोमिता दत्ता
मोमिता मंगल मिशन में प्रोजेक्ट मैनेजर रही थी। उन्होंने मंगल पर जाने वाले पेलोट पर काम किया था। इस समय वह अपनी टीम के साथ मेक इन इंडिया का हिस्सा है। जो कि ऑप्टिकल साइंस की दिशा में काम कर रही है।
मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टरः नंदिनी हरिनाथ
मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर नंदिनी का विज्ञान में रुचि टीवी सीरीज स्टार ट्रेक देख कर पैदा हुई। इससे पहले उन्होंने भारत के पहले राडार इमेजिंग सेटेलाइट रिसैट 1 में ऑपरेशन डायरेक्टर में भूमिका भी अदा की हैं। 20 साल से इसरो से जुड़ी हुई है, जिसके साथ ही इन्होंने 14 मिशनों में अहम भूमिका अदा की हैं।
पहली महिला जिन्हें मिला था अब्दुल कलाम आवार्डः एन वलारमती
इसरो में सेटेलाइट की लांचिंग की सारी देखरेख एन वलारमठी के हाथ में होती है। यह भारत के पहले राडार इमोजिंग सेटेलाइट रिसैट 1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी है। इसके साथ ही यह पहली महिला है जिन्हें तमिलनाडु की ओर से अब्दुल कलाम अवार्ड दिया गया था। इसके साथ ही यह इनसैट 2ए, आइआरएस आइसी, आइआरएस आइडी जैसे उपग्रह मिशन में भी शामिल रह चुकी हैं।
इसरो की कम्प्यूटर वैज्ञानिकः कीर्ति फौजदार
इसरो की कम्प्यूट वैज्ञानिक कीर्ति फौजदार उपग्रह को उनकी सही कक्षा में स्थापित करने के लिए मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी का काम करती हैं। वह व उनकी टीम उपग्रहों व अन्य मिशन पर अपनी लगातार नजर बनाए रखती हैं। कुछ भी गलत होने पर वह अपना काम सुधारती है। वह बिना डरे शांति से काम करती हैं।
भारत की मिसाइल महिला हैः टेसी थॉमस
भारत की मिसाइल महिला के नाम से मशहूर टेसी थॉमस ने मिशन मंगल यान में अपना बहुत योगदान दिया है। अग्नि 4 व 5 मिशन में भी वह शामिल रही है। इसके साथ ही डीआरडीओ के लिए तकनीकी कार्य करती हैं।