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कभी दूध बेचकर घर का गुजारा करती थीं ममता बेनर्जी, विरोध के बावजूद बनी मंत्री

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 30 Mar, 2019 10:48 AM
कभी दूध बेचकर घर का गुजारा करती थीं ममता बेनर्जी, विरोध के बावजूद बनी मंत्री

कोलकाता राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम जुबां पर आते ही आंखों के सामने एक ऐसा व्यक्तित्व उभरता है, जो अपने समय के राजनेताओं से कहीं ऊपर दिखाई देता है। पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और राजनैतिक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख रही ममता बेनर्जी देश की पहली महिला रेल मंत्री बनने का सम्मान भी हासिल कर चुकी है। ऐसे ही ममता बनर्जी से जुड़ी और भी बातें है जो महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है।

 

दूध बेचकर करती थीं घर का गुजारा

ममता बनर्जी अपने स्कूली दिनों से ही राजनीति से जुड़ी हुई हैं। सत्तर के दशक में उन्हें राज्य महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। इस समय में वे कॉलेज में पढ़ ही रही थीं। ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और जब वह बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मृत्यु हो गई थी। बताया जाता है कि गरीबी से संघर्ष करते हुए उन्‍हें दूध बेचने का काम भी करना पड़ा। उनके लिए अपने छोटे भाई-बहनों के पालन-पोषण में, अपनी मां की मदद करने का यही अकेला तरीका था।

 

कानून की पढ़ाई की

बचपन से ही ममता दुखों में पली-बढ़ी लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई में किसी भी परेशानी को आने नहीं दिया। दक्षिण कोलकाता के जोगमाया देवी कॉलेज से ममता बनर्जी ने इतिहास में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री ली। श्रीशिक्षायतन कॉलेज से उन्होंने बीएड की डिग्री ली, जबकि कोलकाता के जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज से उन्‍होंने कानून की पढ़ाई की। कॉलेज के दिनों से ही उन्हें राजनीति में रुचि थी।

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भारी विरोधों के बीच बनी मंत्री

साल 1991 में कोलकाता से लोकसभा के लिए चुनी गईं ममता को भारी विरोधों के बावजूद केंद्रीय मंत्रीमंडल में मौका दिया गया। वह अपने मजबूत स्नवभाव के बलबूते नरसिम्हा राव सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य मंत्री बनीं। वह नरसिम्हा राव सरकार में खेल मंत्री भी बनाई गईं।

 

सादा जीवन, हवाई चप्‍पल और सूती थैला

अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में ममता ने सादी जीवन शैली ही अपनाई। वे हमेशा ही परंपरागत बंगाली सूती साड़ी पहनती हैं। उन्‍हें कभी कोई आभूषण या श्रृंगार प्रसाधन का इस्‍तेमाल करते नहीं देखा गया है। यहां तक कि वह हमेशा हवाई चप्‍पल ही पहनती हैं। उनके कंधे पर आमतौर पर एक सूती थैला भी नजर आता है, जो उनकी पहचान बन गया है।

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राजनीतिक संघर्षो से हुई रू-ब-रू

वर्ष 1991 में जब नरसिम्‍हा राव की सरकार बनी तो उन्हें मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल के साथ ही महिला और बाल विकास राज्य मंत्री बनाया गया। खेल मंत्री के तौर पर उन्होंने देश में खेलों की दशा सुधारने को लेकर सरकार से मतभेद होने पर इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। इस वजह से 1993 में उन्हें इस मंत्रालय से छुट्‍टी दे दी गई।

 

जानलेवा हमले की शिकार

अपने राजनीतिक करियर में भी ममता को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। उनपर कोलकाता के हाजरा क्रॉसिंग पर हमला किया गया था। दो मोटी रॉड उनके सिर पर मारी गयी थी। ममता को तीसरी रॉड भी अपने सामने आती दिखाई दी लेकिन उन्होंने अपना सिर बचाते हुए अपने हाथों से सिर को ढंक लिया। अगर वह रॉड उनके सिर पर लग जाता तो काफी अनर्थ हो सकता था। 

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महिलाओं के लिए प्रेरणा

ममता बनर्जी के जीवन से महिलाओं को बहुत प्रेरणा मिलती है। उन्होंने लाख मुश्किलों के बावजूद भी कभी हार नहीं मानी और पढ़ाई और अपने राजनैतिक जीवन में हमेशा अपने दुश्मनों से लोहा लेती रहीं। एक तरफ जहां ममता अपने मजबूत और दृढ़ व्यक्तित्व के कारण हमेशा अपने दुश्मनों की आंख में खटकती रहीं वहीं अपने पहरावे और जीवन शैली से जनता के दिलों में खास जगह बनाई।

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