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Women Power : यह कल्कि फाउंडेशन लड़कियों के लिए बनवा रही है बॉयो टॉयलेट

  • Edited By khushboo aggarwal,
  • Updated: 26 Jun, 2019 02:05 PM
Women Power : यह कल्कि फाउंडेशन लड़कियों के लिए बनवा रही है बॉयो टॉयलेट

आज समाज में महिलाओं को टॉयलेट की समस्या का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है, सरकार व लोगों की ओर से मुहिम चलाई जाने के बाद भी अधिकतर महिलाएं टॉयलेट का प्रयोग न कर खुले में शौच के लिए जाती हैं। इससे न केवल उनके स्वस्थ पर बुरा असर पड़ता है बल्कि उन्हें छेड़छाड़ जैसी समस्या का भी सामना करना  पड़ता हैं। इतना ही नही अपने मासिक धर्म में भी महिलाएं पैड का इस्तेमाल न कर कपड़े का इस्तेमाल करती है, जिस कारण उन्हें काफी समस्याएं होती हैं। इस समस्याओं पर फिल्म आने के बाद भी कई लोगों को न केवल समझाने की बल्कि  उनके मन में इसे लेकर जो मिथ बने है उन्हें तोड़ने की बहुत जरुरी हैं। इसी क्षेत्र में मुंबई की शालिनी ठाकरे काम कर रही हैं। वह महिलाओं के लिए इलाकों में बॉयो टायलेट बनवाने के साथ साथ सैनेटरी नैपकिन की मशीन भी लगवाती है। 

कल्कि फाउंडेशन की हुई स्थापना 

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की जनरल सेक्रेटरी शालिनी ठाकरे ने महिलाओं के लिए सैनिटेश व हेल्थ के मुद्दों पर काम करने के लिए कल्कि फाउंडेशन की स्थापना की। सबसे पहले इसके तहत मुबई के आस पास के ग्रामीण इलाको में बायो टॉयलेट्स बनवाई गई। इसमें कम विकसित क्षेत्रों व जंगलों में महिलाओं के लिए टॉयलेट बनवाई गई। इससे सफाई की भी अधिक दिक्कत नहीं होती हैं। 

लड़कियों के लिए उपलब्ध करवाए नैपकिन 

फाउंडेशन की ओर से मुंबई में पढ़ रही महिलाओ के लिए सैनिटरी नैपकिन वेडिंग मशीने लगाई गई। गांव के एरिया में रहने वाले महिलाओं के लिए सरकार के साथ मिलकर सस्ते दाम पर नपकिन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। अब तक मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाकों में 100 से अधिक शौचालय बनवाए गए। जिसमें बोरीवली, वर्सोवा, कांदिवली और दहिसर जैसे इलाके शामिल हैं। कांदीवली, गोरेगांव और मलाड में स्थित 10 से अधिक प्राइवेट स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन मशीन भी लगवाई है। 

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महिलाओं का दर्द देख कर लिया संकल्प 

फाउंडेशन का मुख्य मकसद महिलाओं की दशा में सुधार करना हैं। एक बार शालिनी स्मल एरिया में रहने वाली महिलाओं से मिली उन्हों ने बताया कि उन्होंने जिदंगी में कभी भी शौचालय का  इस्तेमाल नहीं किया हैं। जिस कारण उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं। इसी बात को सुन कर उन्होंने महिलाओं के लिए कुछ करने का संकल्प लिया। इतना ही नहीं मासिक धर्म के दौरान उन्हें अपवित्र समझ कर महिलाओं को रसोई घर से लेकर पूजा घर तक जाने की अनुमति नहीं होती हैं। इतना ही नहीं उन्हें नही पता कि किस तरह से सफाई का ध्यान रखना चाहिए, सैनिटरी पैड महंगे होने के कारण वह इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। उन तक इनके बारे में जानकारी पहुंचाना बहुत ही जरुरी होता हैं। 

क्या होता है बायो टॉयलेट 

बॉयो टॉयलेट आजकल चल रहे टॉयलेट से पूरी तरह से अलह होता है, इसमें बैक्टीरिया की मदद से मानव मल को पानी व गैस में बदल कर पानी की बचत की जाती हैं। इससे काफी सफाई भी रहती हैं। इस प्रक्रिया के तहत मल सड़ने के बाद केवल मीथेन गैस और पानी ही शेष बचते हैं, जिसके बाद पानी को पुनःचक्रित (री-साइकिल) कर शौचालयों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इन गैसों को वातावरण में छोड़ दिया जाता है। 
 

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