लोहड़ी के बाद पंजाब ही नहीं पूरे भारत में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत ही धमूधाम के साथ मनाया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति का त्योहार विभिन्न तरीकों से सेलिब्रेट किया जाता है। इस मौके पर हर राज्य में अलग ट्रडीशन फॉलो किया जाता है जिससे यह त्योहार और भी खास हो जाता है। तो चलिए बताते है इस त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में किस तरह से सेलिब्रेट किया जाता है।
पंजाब
पंजाब ही नहीं, बिहार, तमिलनाडु में माघी का त्योहार बहुत ही खास होता है। इस दिन किसान फसल काटकर सूर्य देव का धन्यवाद करते है। पंजाब में इसे माघी का त्योहार कहा जाता है और इस दिन लोग पतंग उड़ा कर भंगड़ा डालते है। एक दूसरे को रेवड़ी, मूंगफली, तिल के लड्डू देते है।
उत्तर प्रदेश
उत्तरप्रदेश औऱ बिहार में इस खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। इस मौके पर इलाहाबाद में माघ मेले की शुरुआत होती है और लोग गंगा स्नान करके दान करते है। घरों में खास तौर पर खिचड़ी बनाई जाती है। इसका दान करके इसका सेवन भी किया जाता है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में लोग मकर संक्रांति के दिन जीवन से जुड़ा कुछ न कुछ दान करते है। खास कर विवाहित महिलाएं अपनी पहली मकर संक्रांति पर कपास, तेल, नमक, गुड़, तिल, रोली आदि चीजें दान में देती है।
राजस्थान
इस दिन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर उनका आर्शीवाद लेती है। इसके साथ ही वह 14 की संख्या में किसी भी चीज का पूजन और संकल्प करती है और बाद में उसे 14 ब्राह्मणों में दान करती है।
पश्चिम बंगाल
इस मौके पर पश्चिम बंगाल में गंगासागर मेले का आयोजन किया जाता है। लोग संगम के किनारे स्नान करते है और तिल का दान करते है।
गुजरात
गुजरात में इसे उत्तरायण भी कहा जाता है। पूरे राज्य में विभिन्न जगह पर पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है। गुजरात के लोग इस दिन को काफी शुभ मानते है।
कर्नाटक
कर्नाटक में यह त्योहार किसानों के लिए काफी शुभ माना जाता है। लोग अपने बैलों और गायों को सजाकर शोभायात्रा निकालते है। नए कपड़े पहन कर सब एक दूसरे को गन्ना, सूखा नारियल, भुने चने देते है और पतंग उड़ाते है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड में मकर संक्रांति के मौके पर कई तरह के मेलों का आयोजन किया जाता है। लोग गंगा में स्नान करके तिल की मिठाई को ब्राह्मणों को दान करते है।
तामिलनाडु
यहां पर मकर संक्रांति को पोंगल ने नाम से भी जाना जाता है। स्नान करने के बाद लोग मिट्टी के बर्तन में खीर बनाते है जिसे पोंगल कहते है। सूर्य देव की पूजा करने के बाद इस खीर को प्रसाद के तौर पर सब ग्रहण करते है। चार दिन के इस त्योहार में पहले दिन भोगी−पोंगल, दूसरे दिन सूर्य−पोंगल, तीसरे दिन मट्टू−पोंगल अथवा केनू−पोंगल, चौथे व अंतिम दिन कन्या−पोंगल मनाया जाता है।