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आखिर कौन थीं वह महिला, जिन्होंने विदेशी धरती पर फहराया था भारतीय झंडा?

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 14 Aug, 2018 04:12 PM
आखिर कौन थीं वह महिला, जिन्होंने विदेशी धरती पर फहराया था भारतीय झंडा?

जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था तो कुछ महिलाएं ऐसी भी थीं जो देश की आजादी का सपना देख रही थीं। वे स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने में भी पीछे नहीं रही।भारत की आजादी से 40 साल पहले एक औरत ने विदेश में पहली बार भारतीय झंडा फहराया था, उनका नाम था मैडम भीकाजी कामा। 

 

भीकाजी कामा को देश को आजाद करवाने की हर कोशिश कर रही थीं। इसी बीच उनकी शादी मिस्टर रुस्तम के आर कामा के साथ हुई। जहां वह पूरी तरह से देश भक्ति के रंगों में रंगी हुई थीं वहीं, उनके पति ब्रिटिश राज के बहुत बड़े भक्त थे। यही खास कारण था कि दोनों की शादी ज्यादा देर नहीं टिक सकी। वह पति से अलग हो गई और इसके बाद समाज सेवा में लग गई। जब देश भयानक प्लेग की चपेट में आया तो लोगों की सेवा करते-करते वह भी इस बीमारी से घिर गई। इस कारण उन्हें लंदन जाना पड़ा। 

 

विदेश में ही उन्होंने आजादी की लड़ाई को जारी रखा और फिर दादाभाई नौरोजी की सेक्रेटरी के तौर पर काम किया। फिर आजादी पर भी उन्होंने अपने विचार लिखने शुरू किए। अमेरिका जैसे देश में भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों के बारे में लोगों को बताया। उन्होनें वन्दे मातरम और तलवार नाम की दो मैगजींस भी निकालीं। उनकी इन गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने मैडम भीकाजी खामा के भारत आने पर रोक लगा दी। 

 

वे आखिरी दम तक भारत की आजादी से के लिए जी जीन से लड़ी लेकिन आजादी से पहले ही 13 अगस्त 1936 को उनकी मृत्यु हो गई। 

 

भीकाजी खामा द्वारा लहराए गए झंडे की खासीयत
उनके द्वारा फहराए गए झंड़े पर  'बंदे मातरं' लिखा था। इस पर हरी पट्टी पर कमल के फूल भारत के आठ प्रांतों को दर्शाते थे और इसके अलावा झंड़े पर हरी, पीली और लाल पट्टियां थीं। 

 

इस झंड़े पर सूरज और चांद भी बना हुआ था, जो हिंदू और मुस्लिम धर्म का प्रतीक था। यह झंड़ा पुणे की केसरी मराठा लाइब्रेरी में प्रदर्शित है। 

 

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