लिव इन रिलेशनशिप यानि की बिना शादी किए लड़का व लड़की एक साथ रहते है। मेट्रो शहरों में चाहे में यह एक ट्रेंड की तरह अपनाया जा रहा है लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके है यहां पर यह जल्दी अपनाया नहीं जाता है। वहीं झारखंड के आदिवासी समाज में ये बरसों से चला आ रहा है, लेकिन वहां पर यह प्रथा या ट्रेंड नहीं बल्कि एक सजा हैं। झारखंड राज्य के ऐसे कई इलाके है यहां पर लिव इन रिलेशन में रह रहे जोड़े सामाजिक बहिष्कार का शिकार हो रहे है।
इन इलाकों में नियम है कि शादी के समय पूरे गांव व रिश्तेदारों को दो वक्त की दावत जिसमें मीट भात व हंडिया दारु शामिल होती है देनी पड़ती हैं। लेकिन सभी जोड़े यह दावत नहीं दे पाते है, ऐसे में उनके विवाह को समाज में मान्यता नहीं दी जाती हैं। इसी कारण वहां के 6 से 7 यानि की 2 लोख लोग लिव इन रहते हैं। इन्हें समाज की ओर से बहिष्कार कर दिया जाता है।
महिलाओं को कहते है ढुकनी
इस इलाके में बिना शादी के रहने वाली महिलाओं को ढुकनी कहा जाता है। ढुकनी का अर्थ बिना शादी के घर में पुरुष के साथ रहना।
पैतृक संपत्ति में नहीं मिलता अधिकार
इन जोड़ों के बच्चों को पैतृक संपत्ति में किसी भी तरह का अधिकार नही मिलता हैं। इतना ही नहीं मरने के बाद उन्हें अंतिम संस्कार करने के लिए स्थान नहीं देता है।
महिलों में चूड़ी सिंदूर की मनाही
लिव इन में रह रही महिलाओं को सिंदूर के साथ लोहे या लाह की चूड़िया न पहने की सजा दी जाती है। वह गांव के किसी भी प्रोग्राम में शामिल नहीं हो सकती हैं। यहां तक की गांव की महिलाओं को भी उनके साथ बात करने पर पाबंदी होती है।
मर्दों का भी बहिष्कार
समाज में न केवल महिलाओं को बल्कि पुरुषों को भी बहिष्कार का सामना करना पड़ता हैं। उन्हें बिना शादी किए रहने पर माता पिता, भाई बहन से अलग कर दिया जाता हैं। उन्हें अपने घर जाने पर भी पाबंदी ला दी जाती हैं।
बच्चों को भी मिलती है सजा
यहां तक की वहां की बच्चियों की कान छेदन की रस्म भी नहीं की जाती हैं। बड़े होने पर उनकी शादी नहीं होती है। यहां तक कि गावं के बच्चे उन्हें ताने मारते है, उनके साथ नहीं खेलते हैं। जिस कारण बच्चों को पढ़ने में काफी दिक्कत होती हैं।
लाइफस्टाइल से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए डाउनलोड करें NARI APP