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महिलाएं कैसे होती हैं ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ की शिकार, ऐसे निकालें खुद को बाहर

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 10 Dec, 2018 05:28 PM
महिलाएं कैसे होती हैं ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ की शिकार, ऐसे निकालें खुद को बाहर

प्रेग्नेंसी में सेहत को लेकर की गई जरा-सी अनदेखी मां के साथ-साथ बच्चे की सेहत पर भी बुरा असर डालती है। इस समय शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं, इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान रोजाना होने वाले अनुभव से कुछ महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। कई बार यह तनाव डिलीवरी के बाद भी हो जाता है, प्रसव के बाद होने वाली इस अवस्था को ‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ कहा जाता है। इस परेशानी का सामना आम औरतें ही नहीं बल्कि कई टीवी एक्ट्रेस भी कर चुकी हैं। 

क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?

बच्चे को जन्म देने के बाद मां की जिम्मेदारियां और काम बहुत बढ़ जाता है। नन्हें-मुन्ने को संभलाना, परिवार,पति और घर की देखभाल कोई आसान काम नहीं है। बच्चे को जन्म देने के बाद कुछ औरतों के मन में कहीं न कहीं यह डर रहता है कि हर चीज को वह कैसे मैनेज कर पाएगी। यहीं बातें मानसिक परेशानियां पैदा करने लगती हैं जिससे डिप्रैशन की स्थिति पैदा होने लगती है। डिलीवरी के बाद होने वाला यह तनाव भी दो तरह का होता है एक प्रारम्भिक डिप्रेशन यानि बेबी ब्लूज और दूसरा देर तक रहने वाला पोस्टपार्टम डिप्रेशन। 

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10 से 16 प्रतिशत महिलाएं होती हैं शिकार 

बच्चे को जन्म देने के बाद लगभग 80 प्रतिशत औरतें प्रारम्भिक डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं जो कुछ हफ्तों बाद ठीक हो जाता है। वहीं, देर तक रहने वाले पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार 10 से 16 प्रतिशत महिलाएं हो जाती हैं। ये अवस्था गंभीर होती है क्योंकि इससे राहत पाने में 6-7 महीने या फिर साल भी लग जाता है। 

‘पोस्टपार्टम डिप्रेशन’ का शिकार हो चुकी हैं ये टीवी एक्ट्रेस

दीपिका सिंह

‘दीया और बाती’ सीरियल की एक्ट्रेस दीपिका सिंह मां बनने के बाद तनाव की शिकार रह चुकी हैं। इस बारे में उनका कहना है कि बच्चे की देखभाल को लेकर चिंता,थकान, एनर्जी की कमी आदि परेशानियों का सामना किया लेकिन इससे ऊभरने के लिए उन्होंने वर्कआउट का सहारा लिया। जिससे उन्हें बहुत मदद मिली। 

चाहत खन्ना 

‘बड़े अच्छे लगते हैं’ टीवी सीरियल की एक्ट्रेस चाहत खन्ना ने भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना कर चुकी हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद बदन में दर्द, चलने-फिरने और उठने-बैठने में परेशानी, कमजोरी आदि जैसी समस्याओं ने उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना दिया था। इस बारे में उनका कहना है कि इस दौरान खुद को खुश रखना चाहिए और मुस्कुराते रहना चाहिए। 

'पोस्टपार्टम डिप्रेशन' के लक्षण

नींद न आना
बच्चे और पति से दूर रहना
एक ही पल खुश और एक ही पल उदास होना
भूख की कमी
हमेशा निराश और उदास रहना
परिवार में दिलचस्पी महसूस न होना
चिड़चिड़ापन और बेचैनी
हमेशा थकावट महसूस होना
छोटी-छोटी बातें भूल जाना
बात-बात पर रोना

इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इलाज करवाना बहुत जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इस परेशानी से जल्दी बाहर निकला जा सकता है। 

पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे निकलें बाहर 

अपने लिए समय निकालें

बच्चे का ख्याल रखना जरूरी है लेकिन दिन में थोड़ा वक्त खुद के लिए भी निकालें। अपने शौक पूरा करें ताकि आत्मविश्वास की कमी न आए। इससे मानसिक स्थिति में सुधार होना शुरू हो जाएगा। 

रिश्ते को वक्त दें

पार्टनर के साथ दूरी न बनाएं बल्कि उन्हें भी जिम्मेदारियों का अहसास करवाएं। रिश्ते में प्यार बनाए रखने के लिए कुछ वक्त पति के लिए भी निकालें। अपनी परेशानियां और समस्याएं उनके साथ सांझा करें। मिल कर समस्या का समाधान ढूंढने से तनाव बहुत जल्दी कम होने लगता है। 

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हेल्दी डाइट लें

अपने खान-पान का खास ख्याल रखें। प्रेग्नेंसी के बाद भी शरीर में कमजोरी आ जाती है जिसे पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंकुरित अनाज, दूध, दही, पनीर आदि खाएं। 

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बच्चे के साथ समय बिताएं

तनाव की वजह से बच्चे को अनदेखी न करें। उसके बचपन में खुद को खोजने की कोशिश करें। बच्चे के साथ समय बिताकर खुश रहें। 

व्यायाम, वर्कआउट और योग करें

बच्चे को जन्म देने के बाद अपनी फिजिकल फिटनेस की तरफ भी ध्यान दें। व्यायाम, वर्कआउट,योग, मेडिटेशन का सहारा लें। इससे तनाव से जल्दी ऊभरने में बहुत मदद मिलेगी। 

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आराम करें

शारीरिक थकावट भी तनाव की वजह बनती है। इससे छुटकारा पाने के लिए आराम जरूर करें। थकावट से चिड़चिड़ापन, मानसिक परेशानी और शारीरिक कमजोरी आने लगती है। 

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