जब महिला गर्भवती होती है तो चिडचिड़ापन, घबराहट चक्कर, मार्निंग सिकनेस, अधिक मीठा खाने का मन करना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने के बाद रिजल्ट नेगेटिव आ जाता है। बता दें कि प्रेग्नेंसी की तरह दिखने वाले लक्षण पीएमएस यानि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का संकेत भी हो सकते हैं। दरअसल, पीएमएस के कुछ सामान्य लक्षण प्रेग्नेंसी से मिलते हैं इसलिए महिलाओं को पता होना चाहिए कि दोनों स्थितियों में क्या अंतर है।
क्या है पीएमएस?
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) महिलाओं से जुड़ी समस्या है, जो सेक्स हार्मोन और सेरोटोनिन नामक हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण मासिक धर्म से पहले दिखाई देते हैं। इस बीमारी के कारण महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिसके कारण चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग होना और तनाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और महिलाएं इसे प्रेग्नेंसी समझ लेती हैं।
85% औरतों को होती है यह समस्या
लगभग 85% महिलाओं को पीएमएस के लक्षण महसूस होते हैं, जो आमतौर पर पीरियड्स शुरू होने के 5-11 दिन पहले महसूस होने लगते हैं और जैसे ही मासिक धर्म शुरू हो जाता है ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। वहीं 20 से 32% महिलाएं PMS के गंभीर लक्षण महसूस करती हैं जिसके कारण उन्हें पीरियड्स के समय काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
पीएमएस के कारण
हार्मोनल बदलाव
पीएमएस में उतार चढ़ाव का कारण हार्मोन चक्र में परिवर्तन हो सकता है। हालांकि पीरियड्स, गर्भावस्था या मेनोपॉज होने पर यह खुद ब खुद खत्म हो जाता है।
दिमाग में रसायनों में बदलाव
मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमिटर (Neurotransmitter) में सेरोटोनिन (Serotonin) नामक रसायन के उतार-चढ़ाव के कारण प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होता है। सेरोटोनिन की मात्रा पर्याप्त न होने पर मासिक धर्म से पहले महिला को डिप्रेशन, थकान, अत्यधिक भूख लगना और नींद की समस्या होती है।
डिप्रेशन के कारण
अधिक तनाव या डिप्रेशन से ग्रस्त महिलाओं में भी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की समस्या अधिक देखने को मिलती है।
हेल्थ कंडीशन
अस्थमा, माइग्रेन, सिरदर्द और एलर्जी जैसी हेल्थ कंडीशन के चलते भी महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
गलत लाइफस्टाइल
धूम्रपान करने, प्रतिदिन एक्सरसाइज न करने, पर्याप्त नींद न लेना, अधिक शराब पीने, अधिक नमक या शुगर खाने और अधिक मात्रा में रेड मीट खाने जैसी गलत आदतें भी इस सिंड्रोम का कारण है।
पीएमएस के लक्षण
पेट में दर्द व सूजन
चेहरे पर मुंहासे
कब्ज एवं डायरिया
नींद के पैटर्न में बदलाव
तनाव, दुख और डिप्रेशन
अचानक वजन बढ़ना
ब्रेस्ट में तेज दर्द होना
अधिक मीठा खाने का मन करना
तेज रोशनी व आवाज से घबराहट
सिरदर्द,थकान, मूड स्विंग होना
चिड़चिड़ापन, काम में मन न लगना
भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करना
पैरों, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का इलाज
लाइफस्टाइल में बदलाव कर ज्यादातर महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल के लक्षणों से राहत पा सकती हैं। हालांकि पीएमएस के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर दवा लेने की सलाह देते हैं, जिससे इसके लक्षण काफी हद तक कम हो जाते हैं।
पीएमएस के लक्षणों को कम करने के उपाय
-प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने के लिए प्रतिदिन एक्सरसाइज और कम मात्रा में नमक खाने की सलाह दी जाती है।
-मासिक धर्म शुरू होने से पहले जब पेट में दर्द या सूजन हो तो पर्याप्त पानी पीएं।
-संतुलित भोजन करें और शुगर कम खाएं। फलों के रस का पर्याप्त सेवन करें। इस दौरान कैफीन और एल्कोहल का सेवन न करें।
-इसके लक्षणों को कम करने के लिए डाइट में फोलिक एसिड, विटामिन बी 6, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन डी से भरपूर चीजों को शामिल करें।
-मांसपेशियों में दर्द, पेट दर्द और सिर दर्द को दूर करने के लिए एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाएं भी ली जा सकती हैं लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।