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स्कंद षष्ठी: इस दिन होगी शिव पुत्र कार्तिकेय की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

  • Edited By neetu,
  • Updated: 16 Feb, 2021 10:38 AM
स्कंद षष्ठी: इस दिन होगी शिव पुत्र कार्तिकेय की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

भारत व्रत व त्योहारों का देश है। ऐसे में यहां पर देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 17 फरवरी दिन बुधवार को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है। इस शुभ दिन पर भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद नाम से भी पूजा जाता है। साथ ही इस व्रत को रखने से संतान प्राप्ति होती है। ऐसे में इस दिन को स्कंद षष्ठी व संतान  षष्ठी कहते हैं। इस व्रत को खासतौर पर दक्षिण भारत में रखा जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से इस व्रत को रखने व पूजा करने से जीवन की समस्याओं का अंत होकर जीवन में सुख-समृद्धि, खुशिहाली व शांति का वास होता है। तो चलिए जानते हैं स्कंद षष्ठी का महत्व, शुभ मुहुर्त व पूजा विधि-

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स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा व व्रत रखने से कुंडली के ग्रह सही होते हैं। जीवन में चल रही बांधा दूर होकर सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है। पैसों की किल्लत दूर होकर घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही निसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। 

स्कंद षष्ठी शुभ मुहुर्त

17 फरवरी 2021 (बुधवार) आरंभ समय- सुबह 05:46 मिनट से 
18 फरवरी 2021(वीरवार) समाप्त समय- सुबह 08:17 मिनट पर

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तो चलिए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि-

1. स्कंद षष्ठी के शुभ दिन पर सुबह उठकर कर घर की अच्छे से सफाई करें। 
2. फिर नहाकर साफ कपड़े पहन लें। 
3. भगवान कार्तिकेय के पास जाकर व्रत रखने का संकल्प करें। 
4. पूजा के लिए एक लकड़ी की पटरी या पूजाघर पर भगवान कार्तिकेय, माता पार्वती व भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। 
5. फिर घी का दीपक, धूप जलाकर भगवान को चंदन से तिलक लगाएं। 
6. उसके बाद कलावा, फूल, गाय का घी, दूध, मौसमी फल आदि चीजें चढ़ाएं। 
7. पूजा करने के बाद भजन व आरती करें। 
8. फिर शाम के समय दोबारा पूजा करने के बाद फल का सेवन करें। 

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