बॉटनी की फील्ड में पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला का नाम जानकी अम्मल है। उन्होने तब इस विषय में पीएचडी की जब लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत भी बहुत कम मिलती थी। जानकी अम्मल ने साल 1931 में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से बॉटनी में पीएचडी की। उन्होने पूरी दुनिया में घूम-घूमकर काम किया और कई तरह की रिसर्च की अपने नाम की। जानें उनके बारे में कुछ खास बातें।
1. उनका जन्म 4 नवंबर 1897 को केरल के कुन्नूर जिले के तेल्लीचेरी (अब थालास्सेरी) में हुई था। जानकी का पूरा नाम एडावलेठ कक्कट जानकी अम्मल था।
2. बाटनी में पेड़-पौधों के बारे में पढ़ाया जाता है। बचपन से जानकी को पेड़-पौधों के बारे में पढ़ने की दिलचस्पी थी। चेन्नई में पढ़ाई करने के बाद मास्टर्स के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन, यानी अमेरिका चली गईं।
3. गन्नों की हाइब्रिड की खोज अम्मल की सबसे बड़ी रिसर्च है। अम्मल के कारण भारत को मीठे गन्ने मिले। 1920 से पहले भारत में गन्नों का उत्पादन ज्यादा अच्छा नहीं था। अम्मल जब पीएचडी करके मिशिगन से लौटीं, तब वैज्ञानिकों के साथ काम करने लगीं।गन्नों की क्रॉस ब्रिडींग करके नए तरह के गन्नों का उत्पादन शुरू किया गया। अम्मल की यह भारत का बहुत बड़ी देन है।
4. उन्होने बॉटनी पर बहुत काम किया और ढेर सारे फूलों के क्रोमोजोम पर स्टडी की। लंदन की रॉयल हॉर्टिकल्चरल सोसायटी में मगनोलिया फूल के क्रोमोजोम पर स्टडी के बाद उनके नाम से ही फूल का नाम रख दिया गया फूल का नाम 'मगनोलिया कोबुस जानकी अम्मल' रखा गया।
5. अम्मल ने सिर्फ गन्ने और फूलों पर ही नहीं बल्कि बैंगन की क्रॉस ब्रिडींग में भी रिसर्च की। इस तरह उन्होने बैंगन की नई वैरायटी का भी अविष्कार किया।
6. जानकी का बॉटनी की फील्ड में काम करते हुए बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया का डायरेक्टर बनाया गया।
7. इसके बाद वह जम्मू की रिजनल रिसर्च लेबोरेटरी की स्पेशल ऑफिसर बनीं। अपनी फील्ड में कई तरह के रिसर्च किए।
8. साल 1957 में जानकी को पद्म श्री मिला। उनके निधन के बाद सरकार ने उनके नाम पर एक पुरस्कार भी शुरू किया। इस पुरस्कार का नाम जानकी अम्मल राष्ट्रीय पुरस्कार है।