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ICP रोग का है संकेत है प्रैग्नेंसी में ज्यादा खुलजी होना, ऐसे रखें बचाव

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 23 Jun, 2019 10:42 AM
ICP रोग का है संकेत है प्रैग्नेंसी में ज्यादा खुलजी होना, ऐसे रखें बचाव

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण उनके शरीर में थोड़ी बहुत खुजली होना आम बात है। दरअसल, प्रेग्नेंसी में महिलाओं की स्किन सेंसटिव हो जाती है और शरीर में ब्लड फ्लो भी बढ़ जाता है, जिसके कारण उन्हें खुजली जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि खुजली अगर हद से ज्यादा गहो रही है तो यह इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ प्रेग्नेंसी (आईसीपी) का संकेत भी हो सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह बीमारी और कैसे करें इससे बचाव।

 

क्या है आईसीपी रोग?

आईसीपी यानी इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस ऑफ प्रेग्नेंसी लिवर से जुड़ा एक रोग है। इसके कारण लिवर में बनने वाली पाचन रस (बाइल) प्रवाहित नहीं हो पाता, जिससे लिवर की नसों पर असर पड़ता है। इसके कारण त्वचा में खुजली होने लगती है, जो तीसरी तिमाही में शुरू हो सकती है। इसके कारण ना सिर्फ खुजली बल्कि बेचैनी और खीझ भी होती है।

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क्या है इसका खतरा?

इस बीमारी के कारण सबसे पहले हाथों व पैरों के तलवे पर खुजली होती है, जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्से जैसे पेट, हाथ, जांघ और पीठ में भी फैल जाती है। इतना ही नहीं, इसका कारण यूरिन का रंग भी गाढ़ा पीला हो जाता है। इसके कारण महिलाओं को शारीरिक व मानसिक परेशानी हो सकती हैं। साथ ही यह प्रीमैच्योर डिलीवरी का कारण भी बन सकता है, जिससे उनमें दिल की धड़कन का सामान्य से कम होना, ऑक्सीजन ग्रहन करने में दिक्कत हो सकती है।

गर्भपात का बन सकता है कारण

शोध के अनुसार आईसीपी से हर साल ब्रिटेन में करीब 5000 महिलाएं मृत शिशु को जन्म देती हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि त्वचा पर अधिक खुजली को अक्सर महिलाएं हल्के में ले लेती हैं और जब इस रोग का पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है।

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आईसीपी के लक्षण

-शरीर के कुछ हिस्सों में तेज खुजली
-पीलिया होना
-हल्के रंग का शौच
-पेट के दाहिने तरफ दर्द
-थकान और भूख में कमी
-यूरिन का रंग गाढ़ा पीला
-भूख न लगना
-पेट के दाहिने हिस्से में दर्द होना

किन महिलाओं को है अधिक खतरा

कई महिलाओं में यह रोग गर्भावस्था के 6वें हफ्ते से शुरू होता है लेकिन ज्यादातर मामले में यह समस्या दूसरे और तीसरे तिमाही के दौरान शुरू होती है। इस तरह की समस्या उन महिलाओं को ज्यादा होती है जिन्हें पिछले 24 महीनों के अंदर पीलिया की शिकायत हुई हो या फिर लिवर से जुड़ा कोई पुराना रोग हो। जो महिलाएं गर्भधारण करने से पहले शराब का सेवन करती हैं उन्हें भी इसका खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल प्रॉब्लम और थायराइड से जूझ रही महिलाओं को भी इसका खतरा अधिक होता है।

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कैसे पाएं खुजली से राहत?

-शरीर के जिन हिस्सों में खुजली हो रही हैं वहां अच्छी क्लाविटी का मॉश्चाराइजर लगाकर रखें, ताकि स्किन ड्राई ना हो।
-खुजली होने पर ज्यादा तेजी से ना खुजलाए, बल्कि हाथों से सहला दें।
-डॉक्टर की सलाह से एंटी-इचिंग वाली क्रीम भी लगा सकती है।
-विटामिन ई युक्त क्रीम लगाकर भी त्वचा में नमी बनाई जा सकती है।
-सर्दियों में त्वचा को शुष्क होने से बचाने के लिए आप गर्म पानी से स्नान करें।
-कमरे में ह्युमीडिफाइर लगाएं और एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरौन हार्मोन के बढ़ते स्तर पर कंट्रोल रखें
-जितना हो सके तेज धूप के संपर्क से बचें। जब भी घर से बाहर निकलें एसपीएफ 30 वाला सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
-दिनभर में कम से कम 8-9 गिलास पानी पिएं, ताकि त्वचा हाइड्रेट और नमी युक्त बनी रहे।
-हल्के ठंडे पानी से नहाने से या बर्फ की सिंकाई करने से भी खुजली की समस्या में आराम मिलता है।

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