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क्या वाकई बच्चों की जान ले रही है लीची? जानिए क्या है वजह

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 16 Jun, 2019 12:45 PM
क्या वाकई बच्चों की जान ले रही है लीची? जानिए क्या है वजह

बिहार के कुछ इलाकों में अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानि चमकी बुखार से अब तक 10 साल से कम उम्र के 80 बच्चों की मौत हो चुकी है। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह मौतें लीची खाने से हुई है। कहा जा रहा है कि बच्चों के खाली पेट लीची खाने से वे इस सिंड्रोम की चपेट में आए। 1-15 साल के बच्चे इसके अधिक शिकार होते हैं। ज्यादा लीची खाने और भूखे पेट धूप में खेलने वाले बच्चे शिकार होते हैं।

 

क्या सच में लीची हो सकती है जानलेवा?

एक्सपर्ट का कहना है खाली पेट लीची खाने से बच्चों में दिमागी बुखार का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि उन्होंने सुबह-सुबह लीची खाई हो। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भी एक सूचना जारी की, जिसमें उन्होंने बच्चों को खाली पेट लीची खाने से मना किया है। साथ ही उन्होंने बच्चों को कच्ची या अधपकी लीचीयां खिलाने से भी मना किया है। सबसे जरूरी बात लीची खाते समय अच्छी तरह चेक करें क्योंकि कई बार उसमें कीड़े भी होते हैं, जो दिमाग तक पहुंचकर आपको नुकसान पहुंचाते हैं।

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सुबह-सुबह लीची क्यों है जानलेवा?

दरअसल, लीची में 'हाइपोग्लायसिन ए' और 'मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन' नामक दो तत्व पाए जाते हैं और खाली पेट लीची खाने से यह तत्व ब्लड शुगर लेवल घटा देते हैं, जिससे पहले तो धीरे-धीरे तबीयत बिगड़ने लगती और फिर व्यक्ति की मौत हो जाती है। हालांकि बिहार में ज्यादा तर बच्चे ही इसका शिकार हुए हैं।

लीची खाने से दो बीमारियों का खतरा

एक्सपर्ट का कहना है कि लीची खाने से दो तरह की बीमारियां हो रही है, जिसमें एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम यानि चमकी बुखार और हाइपोग्लाइसीमिया शामिल है। चमकी बुखार में रोगी के दिमाग में सूजन आ जाती है जबकि हाइपोग्लाइसीमिया के दौरान शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म बनने में रुकावट पैदा करता है। इसके कारण ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है और दिमाग में भी दिक्कत आनी शुरू हो जाती है और दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं।

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एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) के कारण

-सर्दी-जुकाम
-वायरल इंफेक्शन
-बैक्टीरियल इंफेक्शन
-केमिकल
-ऑटोइम्यून रिएक्शन्स

लक्षण दिखते ही इलाज करवाना जरूरी

स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार, रात में खाली पेट सोने वाले बच्चों के बीमार होने की आशंका ज्यादा होती है। बच्चे को बिना देरी किए दो घंटे के भीतर अस्पताल ले जाना जरूरी है क्योंकि समय पर इलाज ना मिलने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकती है।। इसके लिए एईएस प्रभावित जिलों के पीडीएस दुकानों पर गाड़ियों का प्रबंध किया गया है।

-शुरुआत तेज बुखार
-शरीर में ऐंठन महसूस होना
-तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आना
-मानसिक भटकाव महसूस होना
-मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
-कमजोरी, थकान और बेहोशी
-सुनने और बोलने में परेशानी
-दौरे पड़ना
-घबराहट महसूस होना

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कैसे करें बचाव?

-बच्चों को सुबह खाली पेट कच्ची या अधपकी लीची खाने के ना दें और उनके खान-पान का खास ख्याल रखें।
-अगर बच्चे में कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
-घर के बाहर और अंदर साफ-सफाई का खास ख्याल रखें क्योंकि इन बीमारियों का एक कारण बैक्टीियल इंफैक्शन भी है।
-अगर बच्चा बीमार है तो उन्हें समय पर वैक्सिनेशन दिलवाएं।
-बच्चे मच्छरों से बचे रहे इसके लिए उन्हें पूरे कपड़े पहनाएं। बता दें कि डेंगू के मच्छर दिन में ही काटते हैं इसलिए बच्चे के साथ कोई भी लापरवाही ना बरतें।
-किसी के झूठी ड्रिंक, खानपान की चीजें और बर्तन ना शेयर करें, खासकर इंफैक्टिड व्यक्ति की।
-इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा जो पानी पी रहा है वो पूरी तरह प्यूरिफाइड और स्वस्थ हो।
-बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो।

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