क्रिकेट भारत में खेला जाने वाला सबसे पसंदीदा खेल है। लड़कियों के लिए इस खेल में हाथ आजमाना को आसान काम नहीं है वो भी तब जब लड़की कश्मीर की हो। लोगों की इसी सोच को बदलते हुए कश्मीर के बारामुल्ला की 19 वर्षीया इकरा रसूल प्रेरणा बन कर उभरी है। 1 सितम्बर 2018 को आयोजित किए गए एक इवेंट ‘यूथ की आवाज समिट 2018’ में इकरा रसूल ने लोगों को क्रिकेट के साथ अपने सफर के बारे में बताया।
क्रिकेट से पहले थी वॉलीबाल प्लेयर
इकरा का जन्म 5 अगस्त 2000 को कश्मीर के मध्य वर्गीय परिवार में हुआ। उन्होने 13 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। इससे पहले वह वॉलीबाल, हैंडबॉल और खो-खो आदि खेलती थी। जम्मू- कश्मीर महिला क्रिकेट के लिए 13 साल की उम्र में इकरा ने अंडर-16 और 16 साल की उम्र में अंडर-19 में अपनी जगह बनाई थी। अपनी तेज बॉलिंग के लिए उन्हें जाना जाता है।
परिवार के मना करने पर भी नहीं मानी हार
उसके लिए कश्मीर में खेलना आसान काम नहीं था। उनके आस-पड़ोस, परिवार वाले, रिश्तेदारों ने क्रिकेट न खेलने के लिए बहुत दबाव बनाया लेकिन इकरा ने हार नहीं मानी। उन्होने क्रिकेट को अपना लक्ष्य रखा ताकि वह भी देश के लिए कुछ कर सके।
होप एमपावर, राइज’ पुरस्कार से सम्मानित
इकरा ने अंडर -19 और अंडर -23 स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। अपनी उपलब्धि के लिए उन्हें 2017 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज द्वारा ‘होप एमपावर, राइज’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है!