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समलैंगिक कानून पर फैसला देने वाले बेंच की महिला जज थीं इंदु मल्होत्रा

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 07 Sep, 2018 01:36 PM
समलैंगिक कानून पर फैसला देने वाले बेंच की महिला जज थीं इंदु मल्होत्रा

हर समाज का अपना दायरा होता है। इसी को ध्यान में रखकर हमारे देश में धारा 377 को लागू किया गया था। जिसमें अप्राकृतिक यौन संबंध, समलैंगिकता,जानवरों से संबंध बनाने,बिना सहमति के यौन संबंधों आदि को इस धारा में रखा गया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसमें से कुछ विषयों को धारा 377 से हटाया गया है। इसके मुताबिक अब होमोसेक्सुअल्स, हीटरोसेक्सुअल्स, लेस्बियन्स और सभी सेक्सुअल मायनोरिटीज़ के सहमति से यौन संबंध बनाने पर यह धारा लागू नही होगी। इस ऐतिहासिक फैसले से बहुत लोग खुश हैं। जहां पहले समलैंगिकता को बुरा समझा जाता था, उसे इस फैसले से अब नई राह मिलने की उम्मीद है। 

 

इस मामले में 5 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया उनमें जज इंदु मल्होत्रा भी 
शामिल थीं। वह धारा 377 हटाने का फैसला लेने वाले बेंच की एकमात्र महिला जज हैं। इस बारे में जज इंदु मल्होत्रा का कहना है ‘इतने सालों तक एलजीबीटीक्यू समुदाय पर लांछन लगाने के लिए हमें समाज के तौर पर उनसे माफी मांगनी चाहिए।’ इंदु मल्होत्रा के अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन एफ फरीमन, ए.एम. खानविलकर, डी. वाय. चंद्रचूड़ भी इसमें शामिल थे।

 

कौन हैं इंदु मल्होत्रा?
इंदु मल्होत्रा का को 7 वीं सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने का मौका मिला है। इनसे पहले पहली महिला जज होने का सम्मान जस्टिस एम फातिमा बीबी, दूसरी जस्टिस सुजाता वी मनोहर, तीसरी महिला जज जस्टिस रुमा पाल, उनके बाद चौथे स्थान पर ज्ञान सुधा मिश्रा, पांचवी महिला जज रंजना प्रकाश देसाई, छठे महिला जज जस्टिस आर भानूमति और सांतवी जस्टिस इंदु मल्होत्रा हैं। जिनमें से सर्वोच्च न्यायालय में अब जस्टिस आर भानूमति और सांतवी जस्टिस इंदु मल्होत्रा अपने पद पर काम कर रहीं हैं। 

 

इंदु मल्होत्रा पहली ऐसी महिला हैं जिन्हें सीधे जज बना दिया गया। वह 1983 से बार काउंसिल ऑफ दिल्ली की सदस्य हैं। साल 1988 में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की तरह उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के लिए क्वालीफाय कर लिया था। जज बनने से पहले इंदु साल 2007 तक सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ वकील के लिए कार्यरत थीं। 

 

जस्टिस इंदु मल्होत्रा इस समलैंगिकता के फैसले के अलावा कई केसस के लिए एमिरस क्यूरे (Amicus curiae) भी बन चुकी हैं। एमिरस क्यूरे उसे कहते हैं जो कोर्ट को संबंधित केस के बारे में विस्तार से जानकारी, एक्सपर्ट एडवाइस और पूरे तथ्यों के बारे में बताता है। वे देश के लिए कई महत्वपूर्ण केसस का हिस्सा बन चुकी हैं। 


 

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