एशियाई खेल में भारतीय महिला खिलाड़ी बहुत अच्छी प्रदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में भारतीय खिलाड़ी उषा रानी ने कबड्डी में रजत पदक अपने नाम किया है। उषा का यह खेलों तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा।
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली उषा यशवंतपुर में सुबेदार पलिया की एक बस्ती में रहती हैं। वे अपनी मां पुट्टम्मा और पिता नरसिम्हा के साथ अक्सर कबड्डी के बारे में बातें करती थीं। वहीं, दूसरी तरफ परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी, उनका रोजगार फूलों की एक छोटी सी स्टॉल पर निर्भर था। फूलों से उनकी कमाई प्रतिदिन सिर्फ 50 रुपय होती थी।
माता स्पोर्ट्स क्लब में कबड्डी का अभ्यास करते हुए साल 2007 में उन्हें पुलिस विभाग में नौकरी मिली। इससे उनके घर के हालात थोड़े बदलने शुरू हुए। कबड्डी में उनकी बढ़ती दिलचस्पी और मेहनत की वजह से वे एशियाई खेलों तक पहुंच गई। इसी के साथ कर्नाटक से एशियाई खेलों के लिए चयनित होने वाली उषा एकमात्र खिलाड़ी थीं। उनके सिल्वर मेडल जीतने पर परिवार और शहर वाले बहुत खुश हैं। उषा की इस उपलब्धि से उनके पुलिस विभाग ने उन्हें सब- इंस्पेक्टर की पोस्ट पर प्रोमोट करने का फैसला लिया है। मुश्किलों से लड़ते हुए उषा का उस मुकाम तक पहुचना लोगों को प्रेरण दे रहा है।
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