जब लोगों में हिम्मत होती है तो चुनौती कितनी भी मुश्किल क्यों न हो कभी भी पीछे नहीं हटा सकते है। अपनी इसी हिम्मत के साथ एथलीट हिमा दास ने अपने पीठ के दर्द के बावजूद चेक रिपब्लिक में चल रहे क्लाद्नो मेमोरियल एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर दौड़ में तीसरा गोल्ड मैडल जीत लिया हैं। इससे पहले पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड पी 2019 में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ में 2 व 6 जुलाई को स्वर्ण पदक जीते थे।
हिमा न केवल हिम्मत की मिसाल है बल्कि उन्होंने साबित कर दिया है कि हर दर्द के सामने जीत की खुशी व चमक फीकी पड़ जाती हैं। आपको बता दें कि हिमा पिछले कुछ महीनों से पीठ के दर्द से काफी परेशान थी। इस दर्द के बाद भी उन्होंने पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस रेस में भारत की दूसरी एथलीट वीके विसमाया ने 23.75 सेकंड में इस दौड़ को पूरा कर तीसरा स्थान हासिल किया हैं।
अमस के चावल खेत में पली हिमा
नौगांव जिले के ढिंग गांव में चावल किसान रोनजीत दास व मां जोमाली के घर साल 2000 में पैदा हुई थी। 19 साल की हिमा पर इस समय न केवल असम को बल्कि पूरे भारत को बहुत गर्व हैं। बचपन में हिमा ने रेसिंग के कभी नहीं सोचा था इससे पहले वह पिता के साथ चावल की खेती सिखती थी, पिछले साल ही उन्होंने रेसिंग को बारे में सोचा। हिमा के पांच भाई बहन हैं।
मुख्यमंत्री सर्बानंद ने दी बधाई
हिमा की इस उपलब्धि पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने राज्य की इस खिलाड़ी को बधाई दी है. सोनोवाल ने ट्विटर पर लिखा, 'पोन्जान एथलेटिक्स ग्रां प्री-2019 के 200 मीटर में स्वर्ण पदक पर असम की शानदार स्प्रिंट धाविका हिमा दास को बधाई. भविष्य के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएं.' हिमा ने सोनोवाल के इस बधाई संदेश पर उन्हें धन्यवाद दिया।
अब तक जीत चुकी है यह ऑवार्ड
हिमा वह पहली महिला है जिन्होंने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कंपीटिशन में गोल्ड जीत कर पहली इंडियन महिला बन गई हैं। इसके साथ ही उन्होंने असम की अंतर जिला प्रतियोगिता में जीत हासिल की थी। उसके बाद उन्होंने जूनियर विश्व चैपियनशिप में 400 मीटर के फाइनल में गोल्ड मैडल जीता। जकार्ता एशियाई खेलों की 4 गुणा 400 मीटर रिले प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता था।
कोच न दी सलाह
पिता के पास खेल की प्रशिक्षण देने के लिए पैसे और संसाधन नही थे, ऐसे में हेमा फुटबाल खेलने में अपना समय बिताती थी। उस समय शारिरिक शिक्षा के शिक्षक ने उन्हें फुटबाल की जगह एक खेल को चुुनने को कहा। फुटबाल खेलने के कारण हिमा का बॉडी स्टेमिना काफी बढ़ चुका था, जो कि उसके दौड़ में काम आया। उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की प्रेक्टिस रनिंग ट्रैक की जगह मिट्टी के ग्राउंड में की। हिमा के कोच, निप्पन दास ने कहा, "वह किसी से भी उब नहीं जाती है और अपने विरोधियों की परवाह नहीं करती है। हर दौड़ में, उसका लक्ष्य बेहतर समय के साथ सर्वश्रेष्ठ को हराना है। ”
सस्ते जूतों में की जीत हासिल
2017 में हिमा ने इंटर डिस्ट्रिक्ट प्रतियोगिता मे भाग लिया। जब 100 व 200 मीटर की दौड़ में दौड़ने के उन्होंने सस्ते जूते पहने। इन्हीं जूतों के साथ उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। जिसे देख कर सब हैरान हो गए। इसके बाद कोच निपुण दास ने उन्हें ट्रेन करने की इच्छा व्यक्त की थी।
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