शरीर को तंदुरूस्त रखने के लिए विटामिन डी अहम भूमिका निभाता है। यह वसा में घुलनशील होता है और हमारी आंतों से कैल्शियम को सोखकर हड्डियों तक पहुंचाने का काम करता है। इसकी कमी होने से हड्डियां और दांत कमजोर हो सकते है। साथ ही इससे कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। आज हम आपको विटामिन डी के लक्षण और फायदो के साथ-साथ इसकी कमी को पूरा करने का तरीका भी बताएंगे, जिससे आप कई बीमारियों से बचे रहेंगे।
कितनी मात्रा लेनी है जरूरी?
6 महीने से 13 साल के बच्चों को रोजाना 400 IU के करीब विटामिन डी की जरूर होती हैं। वहीं युवाओं व बुर्जगों को रोजाना 600 IU विटामिन डी की खुराब जरूर लेनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को भी रोजाना 600 IU के करीब ही विटामिन डी लेना चाहिए।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
बालों का झड़ना
कमजोर दांत
श्वसन संक्रमण
कब्ज और दस्त
थकान, तनाव और बेचैनी
कमजोर इम्यून सिस्टम
हड्डी और मांसपेशियां में दर्द
अधिक पसीना आना
बार-बार इंफैक्शन होना
कलाई और एड़ियों का फूलना
विटामिन डी के फायदे
हड्डियों और मांसपेशियों को करे मजबूत
विटामिन डी शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही इससे हड्डियों व मांसपेशियों में दर्द भी नहीं होता। अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो इससे ऑस्टियोमलेशिया रोग का खतरा बढ़ जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज से बचाव
विटामिन डी की कमी से टाइप 1 डायबिटीज का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है। दरअसल, इसमें शरीर कीे इम्यून सेल्स इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करते हैं, जिससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज अधिक पाई जाती है। शोध के अनुसार, अगर नियमित रूप से विटामिन डी खुराक ली जाए तो टाइप 1 डायबिटीज विकसित होने की संभावना 90% तक कम हो जाती है।
दिल की बीमारियों से बचाव
शरीर में विटामिन डी की कमी होने से दिल की बीमारियों, हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा भी काफी हद तक बढ़ जाता है। दरअसल, विटामिन डी रक्तचाप को नियंत्रित करके और धमनियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है, जिससे आप दिल के रोगों से बचे रहते हैं। ऐसे में आप भी अपनी डाइट में अधिक से अधिक विटामिन डी फूड्स शामिल करें।
कैंसर का खतरा करे कम
शोध के मुताबिक, नियमित रूप से विटामिन डी लेने से कोलोन, प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। शोध में यह भी पाया गया है विटामिन डी लेने से महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होने वाले कैंसर का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है।
टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाए
टेस्टोस्टेरोन नामक तत्व हड्डियों व मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन भी करता है। वहीं विटामिन डी युक्त आहार लेने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ता है, जिससे आप एनीमिया और हड्डियों की समस्याओं से बचे रहते हैं।
फ्लू से करता है बचाव
अध्ययन के मुताबिक, सही मात्रा में विटामिन डी की खुराक लेने से फ्लू, इंफैक्शन व वैक्टीरियल बीमारियों का खतरा 40% तक कम रहता है। विटामिन डी इम्यून सेल्स में माइक्रोबेक्टिंग प्रोटीन का स्तर बढ़ाता है, जिससे आप इन बीमारियों से बचे रहते हैं।
आंखों को रखे सुरक्षित
विटामिन डी की ऑप्टिक नर्वस को मजबूत बनाकर आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले जोखिम को कम करता है। इतना ही नहीं, उचित मात्रा में विटामिन डी लेने से आंखों की रोशनी भी कम नहीं होती।
गर्भाशय फाइब्रॉएड
विटामिन डी गर्भाशय में होने वाले नॉन-कैंसरस ट्यूमर यानि गर्भाशय फाइब्रॉएड के खतरे को भी कम करता है। नियमित रूप से विटामिन डी युक्त आहार खाने से इसे रोकने में मदद मिलती है, क्योंकि यह असामान्य फाइब्रॉएड के विकास को रोकता है।
मसल्स की ऐंठन करें दूर
विटामिन डी मसल्स टिश्यु को कैल्शियम को अवशोषित करता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन, सूजन व दर्द की समस्या दूर होती है।
वजन घटाने में मददगार
इसका सेवन मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के साथ पाचन क्रिया को भी दुरूस्त रखता है, जिससे आपको वजन घटाने में मदद मिलती है। साथ ही यह विटामिन डी फैट को अवशोषित कर आपके सेल्स की क्षमता को कम कर सकता है।
क्रोनिक सिरदर्द को रोकें
विटामिन डी सिर में होने वाली सूजन को कम करके सिरदर्द और साइनस के कारण होने वाले सिरदर्द को रोकने में मदद करता है।
विटामिन डी स्त्रोत
सर्दियों में तो धूप से विटामिन डी ले सकते हैं लेकिन गर्मियों में धूप में खड़े हो जाना भी मुश्किल है। हालांकि आप सुबह की गुनगुनी धूप में 10-15 मिनट खड़े होकर विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा दूध, अंडे का पीला भाग, टमाटर, हरी सब्जियां, शलजम, नींबू, माल्टा, मूली, पत्ता गोभी और पनीर से विटामिन डी कमी को पूरा कर सकते हैं।