सॉल्ट थैरेपी या हेलोथैरीपी, दवा रहित व नैचुरल थैरेपी है। इसमें व्यक्ति को नमक की दीवारों व फर्श के बीच रखते हैं। इस नमक को रोगी की बॉडी धीरे-धीरे अवशोषित करती है। साइनुसाइटिस, एलर्जी, अस्थमा व सांस संबंधी समस्याएं रोगों में यह थैरेपी उपयोगी है। रोग की स्थिति के अनुसार नमक के दाने का आकार तय करते हैं।
नमक में ये गुण
थैरेपी में प्रयोग हुए नमक में कैल्शियम, सोडियम व मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स होते हैं। व्यक्ति की उम्र और स्थिति के अनुसार थैरेपी की समय अवधि तय करते हैं। रोग की एक्यूट अवस्था में इसे प्रयोग में नहीं लेते हैं।
कैसे काम करती है यह थेरेपी?
45 मिनट की इस थैरेपी में कमरे में नमी और तापमान (18-22 डिग्री सेल्सियस) समुद्री स्थान जैसा होता है, जिसमें व्यक्ति को आराम कराया जाता है। इसे दो अलग-अलग तरीकों से किया जाता है - सूखी और गीली थेरेपी। इस थेरेपी को हेलोथेरेपी के रूप में भी जाना जाता है।
सॉल्ट थैरेपी के फायदे
इंफेक्शन से छुटकारा
थैरेपी लेने के दौरान नमक के कण सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं जिससे संक्रमण के साथ समस्या में राहत मिलती है।
स्किन प्रॉब्लम्स की छुट्टी
इस थैरेपी का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। त्वचा संबंधी, मुंहासे, एक्जिमा, सोरायसिस, टॉन्सिलाइटिस या फायब्रॉइड्स की समस्या में भी यह फायदेमंद है। त्वचा पर होने वाले छोटे-मोटे निशान दूर होने के बाद त्वचा चमकदार बन जाती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
गर्भवती महिलाएं भी इसका फायदा उठा सकती हैं क्योंकि सॉल्ट थैरेपी के बाद व्यक्ति ताजगी महसूस करता है।
मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा
जिन लोगों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और अक्सर हड्डियों में दर्द रहता है। उनके लिए साल्ट वॉटर बॉथ थैरेपी काफी फायदेमंद है। नमक से हड्डियों को सेक मिलता है जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
सांस संबंधी बीमारियां
सॉल्ट थेरेपी अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी सांसों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी रामबाण इलाज है।
तनाव से राहत
डॉक्टरों का कहना है कि सॉल्ट थेरेपी चिंता, तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से भी छुटकारा दिला सकती है।
पिंपल्स और मुहांसे
इस थेरेपी से बॉडी और स्किन डिटॉक्स होती है। साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ाता है, जिससे पिंपल्स, मुहांसे, जैसी समस्याएं दूर होती है और आपको बेदाग त्वचा मिलती है।