माता-पिता के बाद दादा-दादी बच्चों की परवरिश में अहम रोल निभाते हैं। हालांकि वह अपने पोते या पोतियों को वो चीजें भी देते हैं, जिसके लिए माता-पिता कभी अनुमति नहीं देंगे, जैसे कि देर से सोना, बहुत अधिक टेलीविजन देखने, और लापरवाह होकर खेलना लेकिन दादा-दादी का यह लाड़-प्यार बच्चे को स्क्रीन की लत की तरफ ढकेल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि हाल ही में हुए शोध का कहना है। हाल में हुए सर्वे में पाया गया है कि बच्चे की टीवी एडिक्शन का जिम्मेदारा दादी-दादी होते हैं।
बच्चों की स्क्रीन लत के जिम्मेदार हैं ग्रैंडपेरेंट्स
शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रैंडपेरेंट्स की देखरेख में बच्चे अपना आधा समय मोबाइल फोन, टैबलेट, कंप्यूटर या टी.वी के सामन बीताते हैं जबकि इससे भी कम समय में वह खेल-कूद या सोने में व्यतीत करते हैं, जो उन्हें स्क्रीन लत की शिकार बना रहा है।
आधे ज्यादा समय टीवी के सामने बिताते हैं बच्चे
इसमें 2-7 वर्ष की आयु के बच्चों के 356 दादा-दादी को शामिल किया गया, जो प्रति सप्ताह कम से कम एक बार अपने पोते की देखभाल करते हैं। उन्होंने पाया कि औसतन चार घंटे के दौरान बच्चे ने 2 घंटे में वीडियो गेम खेला या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का यूज किया। माता-पिता और दादा-दादी की बिना शर्त प्यार की बौछार बच्चों को बिगाड़ सकती है।
स्क्रीन के नुकसान से अंजान है ग्रैंडपेरेंट्स
अगर बच्चे स्क्रीन को अधिक टाइम देते हैं तो इसका जिम्मेदार दादा-दादी को दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो इस आदत का विरोध नहीं करते हैं। शोध के अनुसार, बहुत सारे दादा-दादी अत्यधिक स्क्रीन से होने वाले नुकसान को लेकर अंजान हैं, जिसके कारण वो बच्चों को टीवी, मोबाइल या वीडियो गेम्स का इस्तेमाल करने से नहीं रोकते।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
समय करें निर्धारित
पिछले कुछ सालों में, वर्किंग माता-पिता, समाज में बदलाव व अन्य मुद्दों के कारण पोते-पोतियों के लिए दादा-दादी की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं। बावजूद इसके उन्हें चाहिए कि वो बच्चों के लिए एक समय निर्धारित करें, ताकि वह इन चीजों का ज्यादा यूज ना करें।
बच्चों से करें बात
बच्चों से पूछें कि उन्हें कौन से प्रोग्राम्स पसंद हैं और उन्हें उसी समय पर टीवी देखने दें। टीवी पर पूरी तरह से बैन न लगाएं बल्कि एक टाइम फिक्स कर दें। इससे वो खुश भी हो जाएंगे और ज्यादा समय टीवी पर भी नहीं बिताएंगे।
बच्चों के साथ खेलें
बच्चों के साथ इनडोर और आउटडोर गेम्स खेलने के लिए ले जाएं। इससे आपकी सैर भी हो जाएगी और बच्चों के साथ आपकी बॉन्डिंब भी मजबूत होगी।
सोने से पहले ना करने दें स्क्रीन का इस्तेमाल
दिनभर ग्रैंडपेरेंट्स ही बच्चे की देखभाल करते हैं लेकिन शाम को जब माता-पिता घर आते हैं तो उनकी भी जिम्मेदारी है कि वो बच्चे पर ध्यान दें। जब आप घर आए तो बच्चे के साथ समय बिताएं और उन्हें सोने से पहले गैजेट्स का यूज ना करने दें।