जब भी कोई खिलाड़ी देश के लिए पदक जीतता है तो हर किसी को खुशी होती है लेकिन ये खुशी तब और भी बढ़ जाती है जब वो पदक दिलाने वाली महिला खिलाड़ी हो। इसी खुशी को बढ़ाया है भारतीय महिला एथलीट गोमती मारिमुथु ने। दोहा में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप चल रही है, जिसमें भारतीय महिला एथलीट गोमती ने पजक जीत देश का नाम रोशन किया।
गोमती ने दिलाया भारत को पहला Gold Medal
इस 23वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप ने स्वर्ण पदक हासिल किया, जो वाकई देश के लिए गर्व की बात है। गोमती ने खलीफा स्टेडियम में प्रतियोगिता के दूसरे दिन महिलाओं की 800 मीटर दौड़ में 2: 02.70 मिनट का अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। बता दें कि इस चैंपियनशिप में भारत का यह पहला स्वर्ण पदक है।
20 साल की उम्र से शुरू कर दिया था दौड़ना
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली की रहने वाली गोमती 30 साल की हैं और उन्होंने 20 साल की उम्र से ही दौड़ना शुरू कर दिया था। इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें 10 साल लग गए। जीत के बाद गोमती ने कहा, 'मुझे फिनिशिंग लाइन पार करने तक विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया है। अंतिम 150 मीटर की रेस बेहद मुश्किल रही।'
अकेली ही करती थी ट्रेनिंग
गोमती को एथलीट बनाने में उनके पिता ने अहम भूमिका निभाई है। उनके पिता गोमती के सबसे बड़े सपोर्ट सिस्टम थे लेकिन 2016 में कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई। इसके चलते उनकी मां डिप्रेशन में चली गई। इसके कुछ महीने बाद गोमती के पर्सनल ट्रेनर गांधी की भी हार्टट अटैक से मौत हो गई मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुद ही ट्रेनिंग शुरू की।
ट्रेनिंग के साथ करती हैं जॉब
गोमती स्पोर्ट्स कोटे से बेंगलुरु के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी कर रही हैं। वह नौकरी से समय निकालकर एथलीट ट्रेनिंग के लिए जाती हैं। अपनी इसी कड़ी मेहनत से उन्होंने आज देश का नाम रोशन कर दिया है।
बता दें कि इस चैंपियनशिप में शिवपाल ने पुरुषों के भाला फेंक में रजत पदक और शिवपाल ने 83 मीटर के क्वॉलिफाइंग मार्क को हासिल करके वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वॉलिफाइ किया। इसके अलावा भारतीय एथलीट सरिताबेन गायकवाड और जाबिर एमपी ने एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सोमवार को कांस्य पदक हासिल किया।
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