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17 साल की उम्र से डायबिटीक पेशेंट है सोनम, डाइट से रखा है बीमारी पर कंट्रोल

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 10 Jun, 2019 06:26 PM
17 साल की उम्र से डायबिटीक पेशेंट है सोनम, डाइट से रखा है बीमारी पर कंट्रोल

 

डायबिटीज यानि की शुगर ऐसी बीमारी है जो कंट्रोल से बाहर जाने पर व्यक्ति की जान ले सकती हैं और जरूरी अंगों को खराब कर सकती है। ऐसा नहीं है कि यह बीमारी सिर्फ मोटापे के शिकार व उम्रदराज लोगों को ही होती है बल्कि यह किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। अब कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी की मुख्य वजह लाइफस्टाइल का खराब होना व तनाव-स्ट्रेस का शिकार होना है। वहीं कई बार यह आनुवांशिक भी हो जाती है। 

बॉलीवुड के कई स्टार्स भी इसकी चपेट में हैं जिनमें सोनम कपूर का नाम भी शामिल है। बता दें कि वह टीनएज से इस बीमारी की शिकार है। महज 17 साल की उम्र से उन्हें डायबिटीज टाइप-1 की समस्या हो गई थी लेकिन उन्होंने बड़े अच्छे से इसे कंट्रोल में रखा है जिसका श्रेय जाता है उनकी हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज को, जो शुगर लेवल को कंट्रोल में रखते हैं। 

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चलिए आज आपको इस डायबिटीज के बारे में बताते हैं 

डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज जहां 10 प्रतिशत लोग टाइप-1 डायबिटीज से ग्रसित हैं, वहीं टाइप-2 डायबिटीज के 85-90 प्रतिशत केस हैं।

दोनों में अंतर यह है कि टाइप-1 डायबिटीज 

टाइप -1 डायबिटीज, जो आमतौर पर बचपन में हो जाती है। कम उम्र में होने के कारण जीवन भर पीड़ित को इंसुलिन इंजेक्शन लेने की सलाह दी जाती है। यह एक ऐसी ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें या तो पैनक्रियाज बहुत कम या फिर बिलकुल ना की मात्रा में इंसुलिन पैदा करता है इसको कंट्रोल में रखा जा सकता है जबकि टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोगों का ब्लड शुगर का स्‍तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है।

दोनों के लक्षण भी अलग-अलग हैं। 

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टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण

मरीज को बार-बार पेशाब आता है, 
बहुत प्यास लगती है।
शरीर में पानी की कमी हो जाती है
कमजोरी महसूस होती है
दिल की धड़कन बहुत बढ़ जाती है।

टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण

ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ने से थकान,
कम दिखना और सिर दर्द जैसी प्रॉब्लम
रोगी को अधिक प्‍यास लगती है।
कोई चोट या घाव जल्‍दी ठीक नहीं होता
आंखों की रोशनी पर प्रभाव 

कैसे होता है डायबिटीज इलाज

डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए इंसुलिन दिया जाता है। इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है जो रक्त कोशिकाओं को शुगर पहुंचाने का काम करता है और इसी शुगर से ही कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है

टाइप 1 डायबिटीज के लिए इंसुलिन थैरेपी 

टाइप 1 डायबिटीज वाले लोग इंसुलिन इंजेक्शन की मदद से अपना इलाज करवाते हैं। इंसुलिन एक “key” की तरह काम करता है जो बॉडी सेल्स में ग्लुकोज को वापस लाने में मदद करता है लेकिन इस उपचार के साथ चुनौती यह है कि अक्सर यह जानना संभव नहीं हो पाता है कि कितना इंसुलिन लेना चाहिए। यह कई कारकों पर आधारित है, जिसमें शामिल हैं: फूड, एक्सरसाइज, स्ट्रेस 
सोनम डायबिटीज को कंट्रोल रखने के लिए तीनों चीजों को बैलेंस में रखती हैं और कुछ नियम भी फॉलो करती हैं, तभी डायबिटीज पर कंट्रोल रहता है। 
पहला वह समय पर अपना खाना खाती हैं। वहीं जो डाइट वह ले रही हैं वो इंसुलिन डोज से भी मेल खाती है जो कि बहुत जरूरी है। भोजन छोड़ना या देर से खाना पीड़ित को खतरे में डाल सकता है। 

टाइप 1 डायबिटीज में क्या खाएं

ब्राऊन राइस, चोकरयुक्त गेहूं,क्विनोआ,ओट्समील, फल,सब्जियां, बीन्स और 
दालें जैसे साबुत अनाज खाने चाहिए 

 

क्या खाने से करें परहेज 

सोडा, सिंपल कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोसेस्ड और रिफाइंड शुगर, व्हाइट ब्रैड, पेस्ट्रीज, टिप्स, कुकीज और पास्टा, ट्रांस फैट्स और हाइट फैट एनिमल प्रो़डक्ट्स खाने से परहेज रखना बहुत जरूरी है। 

टाइप 2 डायबिटीज का इलाज 

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वहीं बता दें कि टाइप 2, डायबिटीज का सबसे आम रूप होता है और इसे नॉन-इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज भी कहा जाता है। यह डायबिटीज आमतौर पर 35 से अधिक उम्र वाले लोगों को होता है। यह डायबिटीज आमतौर पर उन लोगों को होती है जिनका लाइफस्टाइल सही नहीं होता है और जो मोटापे के शिकार होते हैं। इसलिए इस बीमारी से दूर रहने के लिए वजन कंट्रोल में रखें, लाइफस्टाइल व डाइट हैल्दी रखें जिसका हो सके स्ट्रेस से दूर रहें और एक्सरसाइज जरूर करें।

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