औरत को हमेशा कमजोर समझा जाता है। यही समझा जाता है कि औरतों की सुरक्षा सिर्फ मर्द ही कर सकते हैं। शायद यही कारण है कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं लेकिन जब जेलर की बात आती है तो इस लिस्ट में उनका नाम नहीं आता। खुशी का बात यह है कि अब यह लिस्ट भी खाली नहीं है। तिहाड़ जेल को पहली महिला सुपरिटेंडेंट मिल चुकी है। उनका नाम है अंजु मंगला, जिनकी पहली महिला जेलर के रूप में नियुक्त की गई हैं।
अंजु इससे पूर्व महिलाओं की जेल की अधीक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुकी हैं। स्वभाव से बहुत मिलनसार अंजू की खास बात यह है कि इन्हें खुद को 'जेलर' कहलाना पसंद नहीं है। जेलर शब्द व्यक्ति की कठोर छवि पेश करता है।
वह 18 से 21 आयुवर्ग के करीब 800 कैदियों की देखरेख कर रही हैं। जेल में कैदियों को शिक्षा भी दी जाती है और उनको सुधारने की कोशिश कर रही है। वह अपनी जेल को छात्रावास या गुरुकुल कहना पसंग करती हैं।