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सिल्वर मेडल जीतने वाली फीमेल एथलीट दुती पर मर्द कहकर लगा दिया था Ban

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 29 Aug, 2018 03:51 PM
सिल्वर मेडल जीतने वाली फीमेल एथलीट दुती पर मर्द कहकर लगा दिया था Ban

एशियन गेम्स 2018 में भारत की तरफ से दुती चंद ने रजत पदक अपने नाम किया है। दुती जानी-मानी एथलीट है और खुशी की बात यह है कि 20 साल बाद किसी ट्रैक इवेंट में भारतीय महिला ने मेडल जीता है। दुती के लिए यह सफर बेहद मुश्किल था, जब साल 2014 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन  (IAAF)  के पास दुती को इस शिकायत के साथ रेफर कर दिया थी कि हो सकती है उसके अंदर पुरुषों के हॉर्मोन ज्यादा हैं। इस वजह से वे महिलाओं के साथ कम्पीट नहीं कर सकती। 


बेन होने की वजह से झेलना पड़ा अपमान
दुती के शरीर में पुरुओं के हॉर्मोंस होने की बात से उन्हें बहुत अपमान झेलना पड़ा था जबकि यह कुदरती वजह थी। जिसे हाइपरएन्ड्रॉजिनिस्म कहा जाता है। इस वजह से शरीर में मसल्स ज्यादा बनने लगती है और आवाज में भी भारीपन आ जाता है। इस मेडिकल कंडीशन से दुती भी गुजर रही थी। 

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उन्हें इस वजह से बैन कर दिया था क्योंकि टेस्टोस्टेरोन की मात्रा दुती के शरीर में आम औरतों से ज्यादा है। वह कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी भाग नहीं ले पाई थीं। इसके बाद उन्होने कोट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की। जिसमें वह जीत गईं लेकिन  IAAF इस बात को लेकर बदला नहीं। फिर इसी साल अप्रैल में IAAF ने 100 मीटर और 200 मीटर की रेस को अपने जजमेंट से बाहर रख दिया। जिस वजह से दुती खेल में भाग ले पाई। 


अभी भी दुती की मुश्किले कम होने का नाम नहीं ले पा रही थी। IAAF के नियमों के हिसाब से अगर कोई फीमेल एथलीट अपने अंदर टेस्टोस्टेरोन को कम नहीं करना चाहती तो उसे या तो मर्दों को कम्पीट करना होगा या फिर इंटरसेक्स कैटेगरी में जाना होगा। इस बात को लेकर साउथ अफ्रीकन धावक कास्टर सेमेन्या ने पूरी तरह से विरोध किया और दुती ने भी उनका साथ दिया। 

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इन खेलों में मेडल जीतने के बाद दुती का हौसला बढ़ गया। उनके शरीर में प्राकृतिक तौर पर बनने वाले टेस्टोस्टेन में दुती की कोई गलती नहीं है। इसी के साथ दुती ने बाकी एथलीट से भी अपील की कि अगर ऑफिशियल उनको किसी भी टेस्ट के लिए कहते हैं तो इसके लिए पहले उन्हें लिखित कारण मांगना चाहिए कि ये टेस्ट क्यों कराए जा रहे हैं। इसके साथ ही एक लोकपाल भी होना चाहिए जो यह बताए कि जिन बातों के आधार पर टेस्ट किए जा रहे हैं वे सही है या फिर गलत। 


विलियम्स सिस्टर्स के अलावा अब तक बड़ी-बड़ी ओलिंपिक एथलीट्स के शरीर को मरदाना कहकर खारिज किया जाता रहा है। दुती के साथ-साथ बाकी खिलाड़ियों को भी अपने हक के लिए आवाज उठानी जरूरी है। 

 

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