प्रैग्नेंसी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर महिला नौकरी करती हो तो उनकी परेशानी और भी बढ़ जाती है। हाल ही में हुए शोध के अनुसार, वर्किंग वुमन्स को प्रग्नेंसी पीरियड्स में तनाव से गुजरना पड़ता है, जिसका एक कारण है नौकरी से निकाले जाने का डर। जी हां, इस शोध के अनुसार, कामकाजी महिलाओं को ऐसा लगता है कि गर्भवती होने के बाद या तो उन्हें काम से निकाल दिया जाएगा या स्टॉफ का उनके प्रति व्यवहार खराब हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ पिता बनने वाले पुरूषों को ऑफिस में बढ़ावा मिलता है।
प्रैग्नेंसी के बाद नौकरी से निकाले जाने का डर
शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि मां बनने वाली औरतों को गर्भवती होने के बाद इस बात का काफी डर रहता है कि उनका स्वागत अच्छे से नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं, वह इस चिंता में भी डूबी रहती हैं कि उन्हें नौकरी से बाहर निकाल दिया जाएगा।
कम मिलता है ऑफिस में प्रोत्साहन
शोध में पाया गया कि जब महिलाओं ने इस बात का जिक्र अपने ऑफिस स्टॉफ से किया तो उन्हें करियर के क्षेत्र में प्रोत्साहन दिए जाने की दर में कमी आई जबकि पुरूषों को प्रोत्साहित किए जाने की दर में बढ़ोतरी हुई।
निजी जिंदगी व करियर में आए बदलाव
शोधकर्ताओं ने कहा कि महिलाओं के इस डर की एक वजह निजी जिंदगी व करियर में आने बदलाव भी है। दरअसल, प्रैग्नेंसी के बाद महिलाओं की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। वहीं लोग भी उन्हें ऑफिस जाने की बजाए घर पर रहकर रेस्ट करने की सलाह देते हैं, जिसके चलते महिलाओं के मन में ऐसी भावना बैठ जाती है।
तनाव और डिप्रेशन का बढ़ जाता है खतरा
करियर को लेकर इस डर के चलते कुछ औरतें मानसिक और शारीरिक तनाव की शिकार हो जाती हैं। इतना ही नहीं, कुछ महिलाए इसके कारण डिप्रैशन की चपेट में भी आ जाती हैं। प्रोफेशनल वर्ल्ड में महिलाओं के लिए गर्भावस्था एक चैलेंजिंग समय होता है। ऐसे में आपको छोटी-छोटी बातों पर टेंशन लेने की बजाए उससे डील करना सीखना चाहिए।
बच्चे पर पड़ता है बुरा असर
प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाएं जो सोचती हैं, उसका सीधा असर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इतना ही नहीं, प्रैग्नेंसी में ज्यादा स्ट्रैस लेने से बच्चा बहुत कमजोर पैदा होता है। इससे डिलीवरी के समय बच्चे का वजन बहुत कम होता है और आगे चलकर भी बच्चे को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
होने चाहिए ये बदलाव
इस डर के चलते ना सिर्फ महिलाएं तनाव का शिकार होती है बल्कि इससे बच्चे पर भी बुरा असर चलता है। ऐसे में कंपनी को चाहिए कि इस दौरान वह महिलाओं को सिक्योर फील करवाएं। साथ ही महिलाओं को डिमोटिवेट करने की बजाए करियर के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा कंपनी को चाहिए कि वह गर्भवती महिला की हर संभंव मदद करें, ताकि वो ऑफिस व घर की जिम्मेदारियों को आसानी से संभाल सकें।
भारत में बदल रहा है माहौल
मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम, 2017 के बाद से भारतीय महिलाओं को इस तनाव से उभारने की पूरी कोशिश की जा रही है। हालांकि अभी (Unorganized Sectors) में यह तनाव बरकरार है लेकिन सरकारी नौकरियों में बहुत हद तक महिलाएं इस तनाव से बाहर आ रही हैं।