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रेगुलर पीरियड्स के बावजूद भी नहीं बन पा रही मां तो जान लें कारण

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 06 Jun, 2019 05:18 PM
रेगुलर पीरियड्स के बावजूद भी नहीं बन पा रही मां तो जान लें कारण

मां बनने का सुख हर औरत पाना चाहती है लेकिन कइयों को यह सुख मिल नहीं पाता, जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार महिला की हैल्थ कंडीशन इसका कारण बनती है, ज्यादातर जिन महिलाओं को पीरियड समय पर नहीं आते या ओवरी से जुड़ी दिक्कत होती है, उन्हें ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है लेकिन कई बार नियमित पीरियड्स आने के बाद भी महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती जिसके पीछे की वजह एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis)  हो सकती हैं जोकि दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसमें महिलाओं के हार्मोन इम्बैलेंस होने की वजह से दिक्कत शुरु होती है, जिस कारण वह पेट में तेज दर्द, इररैगुलर पीरियड्स और इनफर्टिलिटी की शिकार हो जाती है। पहले पीरियड्स के दौरान व पहले बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है।

 

बता दें कि दुनियाभर में रिप्रॉडक्टिव एज ग्रुप यानि की 25 से 30 साल की उम्र की लगभग 89 मिलियन महिलाएं इस बीमारी से परेशान है, जिसका सबसे बड़ा कारण जागरूकता की कमी है। चलिए आज हम आपको इस बीमारी के बारे में विस्तार में बताते हैं और साथ ही में बताते हैं इससे बचने के तरीके।

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क्‍या है एंडोमेट्रिओसिस?

एंडोमेट्रिओसिस एक डिसऑर्डर है जो गर्भाशय (एंडोमेट्रियम) के आंतरिक ऊतक यानि गर्भ के आस-पास बढ़ने लगते है। यह ऊतक पेडू, फैलोपियन ट्यूब, अंडाशय और अन्य प्रजनन की आंतरिक परत के आस-पास भी फैल सकते हैं, जिससे महिलाओं को कंसीव करने में दिक्कत आती है।

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एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण

-पीरियड्स के दौरान तेज पेल्विक दर्द
-मांसपेशियों में खिचाव
-पेट, पीठ के निचले हिस्से या पेडू में दर्द
-बांझपन
-पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग
-दर्दनाक पीरियड्स और ऐंठन
-संबंध बनाते समय दर्द
-थकान, दस्त, कब्ज
-शरीर में अंगों में सूजन
-कमजोरी और उल्टी होना
-यूरिन पास करते समय जलन

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एंडोमेट्रिओसिस के कारण
शरीर में कोशिकाओं के बढ़ने के कारण

प्रजनन अंगों और केविटीज की परत एंडोमेट्रियल व एम्ब्रोनिक कोशिकाओं से बनती है। जब उस परत का छोटा हिस्सा एंडोमेट्रियल टिश्यू में बदल जाता है, तो एंडोमेट्रिओसिस की समस्‍या होती है।

रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन

पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्‍लीडिंग, एंडोमेट्रियल टिशू की परत के टूटने से होती है। मगर जब ब्लड शरीर से बाहर निकलने की बजाए डिम्ब नली से पेल्विक केविटी में जमा हो जाए तो उस स्थिति को रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन कहते हैं, जिससे इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

इंफैक्शन के कारण

किसी अन्य बीमारी के लिए ली जा रही दवाएं, जो पीरियड में रुकावट करें या पहले हुए पेल्विक संक्रमण, अनुवांशिक कारणों और यूटेराइन समस्याओं से भी एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

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बनने लगता है चॉकलेट सिस्‍ट

पीरियड्स के दौरान जब ब्लड शरीर से बाहर निकलने की बजाए डिम्ब नली से पेल्विक केविटी में जमा हो जाए तो उस स्थिति को रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन होने लगता है, जिससे यह समस्या उभरती है। दरअसल, जब मासिक धर्म में निकलने वाला मेंस्ट्रूअल ब्लड शरीर से बाहर निकलने के बजाए अंदर ही स्प्लिट होकर आसपास के अंगों में जमने लगता है और धीरे-धीरे गांठ का रूप लेने लगता है। इन गांठों की वजह से आंतों में एक तरह गाढ़ा चिपचिपा भूरे रंग का तरह पदार्थ बनने लगता है जिसे डॉक्टरी भाषा में 'चॉकलेट सिस्ट' कहते हैं और आगे चलकर यही सिस्ट इस बीमारी का कारण बनता है।

एस्ट्रोजन थेरेपी भी है कारण

मेनोपॉज के बाद ली गई एस्ट्रोजन या किसी अन्य प्रकार की हॉर्मोन थेरेपी भी एंडोमेट्रियोसिस की समस्‍या होने की संभावना बढ़ा देती है।

एंडोमेट्रिओसिस का उपचार

टेस्‍ट और सोनोग्राफी के जरिए इस बीमारी का पता लगाने के बाद आर्टिफिशियल मेनोपॉज से इस बीमारी को रोका जा सकता हैं। इसके लिए हार्मोंनल दवाएं या महीने में एक इंजेक्शन काफी होता है। हालांकि यह स्‍थाई इलाज नहीं है और इसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं। वहीं अगर महिला उम्रदराज है या कई सर्जरी हो चुकी हैं तो गर्भाशय और ओवरीज निकालकर हिस्टेरेक्टॉमी ही इसका सबसे बेहतर इलाज है।

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