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कहीं आपका पार्टनर या बच्चा तो नहीं हो रहें 'इमोशनल एब्‍यूज' का शिकार

  • Updated: 27 Aug, 2017 11:58 AM
कहीं आपका पार्टनर या बच्चा तो नहीं हो रहें 'इमोशनल एब्‍यूज' का शिकार

आजकल का लाइफस्टाइल एक बहुत ही गंभीर समस्या बनती जा रही है। ऑफिस हो या घर कुछ लोग हर जगह इमोशनल एब्यूज के शिकार हो जाते है और किसी से कुछ भी नहीं पाते। इससे पीड़ित व्यक्ति अंदर से इतना टूट जाता है कि इसके चलते वो कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को दिमागी तौर पर उबरने में बहुत समय लग जाता है। इसके अलावा इससे बड़े या बच्चे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते है। अगर आपका पार्टनर या बच्चा इस बीमारी का शिकार हो रहे तो उनमें आएं इन बदलावों को समझ कर उन्हें समय पर संभाल लें।

 

1. स्कूल ऑफिस में खराब परफॉरमेंस
इमोशनल एब्यूज का शिकार हुए बड़े या बच्चों का कहां पर भी ध्यान नहीं रहता है। इससे ऑफिस में ध्यान देने की बजाए बड़े काम से भागने के बहाने ढ़ढने लगते है और बच्चे पढ़ाई पर ध्यान देने की बजाए इधर-उधर गलत आदतों में टाइम बिता देते है। इस कारण ऑफिस या स्कूल में उनका रिजल्ट खराब हो जाता है।

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2. खुद को नुकसान पहुंचाना
इससे पीड़ित व्यक्ति इस हद तक मानसिक रूप से प्रताड़ित हो जाता है रि वो खुद को नुकसान पहुंचाने लग जाता है। कई दिनों तक इस तरह परेशान रहने के बाद विक्टिम स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन शुरू कर देता है। इसके अलावा अगर वो बहुत लंबे समय से पीड़ित है तो वो आत्महत्या की कोशिश भी कर सकता है।

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3. आत्मविश्वास में कमी
इन सब के चलते उनका आत्मविश्वास पूरी तरह से खत्म हो जाता है। ऐसी सिचुएशन में वो इतने नकारात्मक हो जाते है कि खुद को लाचार महसूस करने लगते है। ऐसे मामले में बच्चे बड़ो के मुकाबले किसी से आंख मिलाने से भी कतराने लगते है। बच्चों को इसके कारण आस-पास की चीजों को लेकर पूरी तरह कॉन्फिडेंस नहीं रहता।

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4. गुस्सा करना
इसके कारण बड़े या बच्चे इतने एग्रेसिव हो जाते है कि उस शक्स के सामने होने पर उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाते लेकिन अकेले में गालियां निकालने लगते है। बच्चे स्कूल में लड़ाई करने लगते है और बड़े हर बात में नेगिटिव एंगल ढूढ़ने लगते है। ऐसी सिचुएशन में लोग ऑफिस में अपने दोस्तों पर या घर में अपनी वाइफ और पेरेंट्स पर गुस्सा निकालने लगते हैं।

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5. एब्यूजर की तरफ झुकाव
इस मामले में पीड़ित व्यक्ति एब्यूजर की तरफदारी करने लगता है और उस व्यक्ति के प्रति पीड़ित को लगाव हो जाता है। इस सिचुएशन में तीसरा व्यक्ति समझ नहीं पाता कि उसे इससे बाहर कैसे निकला जाए। इसके अलावा इससे पीड़ित व्यक्ति के खानपान में पर असर पड़ता है। इमोशनल एब्यूज से पीड़ित बच्चे और बड़े ना तो टाइम पर खाना खाते है और ना खाने की चीजों पर ठीक से ध्यान देते है।

6. कनफ्यूजन, डर और गिल्ट
बच्चे या बड़े जब इसका शिकार होते है तो वो समझ नहीं पाते कि इस सिचुएशन में क्या करें। ज्यादातर वो ऐसे जताते है जैसे उनके साथ कुछ हुआ ही नहीं है। कई बार तो वो इसके लिए खुद को ही दोषी समझने लगते है। ऐसी स्थिति में वो हमेशा डरे-डरे रहने लगते है। खुद को देषी समझ कर गिल्ट में रहने के कारण वो मानसिक तौर पर प्रभावित हो जाते है।

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