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Nari

दूध के दांत भी बचा सकते हैं बच्चे की जिंदगी

  • Updated: 01 Apr, 2017 03:48 PM
दूध के दांत भी बचा सकते हैं बच्चे की जिंदगी

पेरेटिंग : 6 से 8 वर्ष तक की आयु में हर बच्चे के दांत गिरते हैं, जिन्हें दूध के दांत कहा जाता है। इसके बाद नए दांत आने भी शुरू हो जाते हैं। यह प्रक्रिया इस बात का संकेत देती हैं कि आपका बच्चा बढ़ा हो रहा है। बचपन के दांत टूटने से कई कहानियां भी जुड़ी हैं जो बच्चों को उसकी दादी-नानी या पेरेंट्स सुनाते हैं कि दांत को तकिए के नीचे रखने से परी उसे उठा ले जाती हैं और वहां पैसे रख जाएगी। 


लेकिन आज समय बदल गया है, आप अपने बच्चे के निकले हुए दांत को सुरक्षित तरीके से रखकर इससे भविष्य में काफी फायदे ले सकते हैं। जी हां, 2003 में एक अध्ययन से पता चला है कि बच्चे के दांत स्टेम सेल्स के स्त्रोत होते हैं। यह एक तरह के प्रोटोकाल्स की तरह होते हैं जिनसे जरूरत पढ़ने पर कई तरह के सेल्स बनाए जा सकते हैं। यह एक हैरान कर देने वाला तथ्य है कि अगर बच्चे को बढ़े होने पर किसी भी कारण से यदि टिश्यू रिपलेसमैंट की जरूरत पढ़ती है तो इन स्टेम सेल्स का इस्तेमाल उन टिश्यूस को बनाने में किया जाएगा। इस प्रकार बच्चों के दांतों को बचाकर रखने से जीवन में कई प्रकार की बीमारियों का इलाज हो सकता है।


इस सुविधा के लिए माता-पिता को दांत गिरने के तुरंत बाद इसकी संभाल करनी होगी। इसके लिए माता-पिता स्टोर-ए-टूथ जैसी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं ताकि उनके बच्चों के दांतों को ठीक से रखा जा सके। दांतों को तरल नाइट्रोजन क्रायोप्रेज्रवेशन  (cryopreservation)वॉल्ट में रखा जाता है, जहां स्टेम कोशिकाएं बरकरार रहती हैं और वर्षों तक प्रयोग करने योग्य होती हैं। इस प्रकार भविष्य में बच्चे को कई भयकंर बीमारियों से बचाया जा सकता है।

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