कार्तिक महीने की अष्टमी यानि की 21 अक्टूबर को भारत वर्ष की मांएं अपनी संतान की सुख समृद्धि के लिए उपवास रखेंगी। इस उपवास के दौरान मांएं पूरे विधि-विधान के साथ अहोई माता की पूजा करती हैं। करवाचौथ में जिस तरह चांद को देखकर उपवास खोला जाता है उसी तरह इस उपवास में महिलाएं तारों को अर्घ्य देकर अपना उपवास खोलती हैं।
कई बार व्रत रखने के दौरान जाने-अजाने कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिससे व्रत का फल कम हो जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही सावधानियों के बारे में बताएंगे जिससे आप पूरी विधि से अपने व्रत को पूरा कर सकती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
शाम 05:45 से 07:02 बजे
यूं करें पूजा
सुबह उठकर स्नान करके घर के मंदिर की दीवार पर गेरु और चावल से अहोई माता यानी कि मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। आप बाजार से पोस्टर लाकर भी लगा सकती हैं। एक नए मटके में पानी भरकर उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। अब मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें। परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान कर व्रत की कथा पढ़ें व सबको प्रसाद दें। मटके में रखे हुए पानी को खाली ना करें। इससे दीवाली के दिन पूरे घर पोंछा लागएं इससे घर में बरकत आती हैं। इसके बाद शाम के समय सितारों को अर्ध्य देकर उपवास खोल लें।
न करें ये गलतियां
- व्रत के बाद जब भी पूजा करने के लिए बैठे सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
- कोशिश करें कि आप इस दिन करवाचौथ की तरह निरजला व्रत रखें। इससे आप पर व बच्चों पर अहोई माता की कृपा बनी रहेगी।
- इस दिन सास-ससुर के लिए बया जरुर निकालें। अगर घर में सास- ससुर नहीं है तो इसे आप किसी बुजुर्ग या घर के बड़े को भी दे सकती हैं।
- इस दिन प्रयोग किए जाने वाला करवा नया नहीं होना चाहिए। आप करवाचौथ पर इस्तेमाल किया हुआ करवा इस्तेमाल कर सकती हैं।
- व्रत की कथा सुनते समय अपने हाथों में साथ 7 प्रकार के अनाज रखें। पूजा होने के बाद यह आनाज गाय को खिला दें।
- पूजा करते समय बच्चों को अपने पास बिठाएं, भोग लगाने के बाद उन्हें प्रसाद जरुर दें। बच्चों के बिना यह पूजा कभी भी न करें।
- इस दिन मिट्टी को हाथ नहीं लगाना चाहिए। गलती से भी खुरपी से कोई पौधा न उखाड़ें।
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